कोलकाता। राजा नबकृष्ण देव द्वारा 260 वर्ष पहले शोभा बाजार राजबारी में शुरू की गई दुर्गा पूजा की 'एकचला' मूर्ति 100 वर्ष पश्चात अपने मूल रूप यानी सुनहरे रंग में लौट आई है। वित्तीय संकटों के कारण माता की मूर्ति को चांदी के रंग से रंगा जाने लगा था। वर्ष 1757 में इस दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई थी।
उनके वंशज देबराज मित्रा ने बताया कि राजा नबकृष्ण देब के समय से ही हमारी मूर्तियों को सुनहरे रंग से तैयार किया जाता रहा है, लेकिन कुछ समय बाद वित्तीय अभाव के बाद मूर्तियों पर चांदी का रंग होने लगा। इस साल से हम लंबे अंतराल लगभग 100 साल के बाद फिर से सुनहरा रंग इस्तेमाल करने जा रहे हैं। हम केवल मूल परंपराओं का पालन कर रहे हैं।
शहर की धरोहर में शामिल शोभा बाजार राजबारी के बारे में उन्होंने कहा कि यहां इस बार फिर बनारस से शहनाई कलाकारों को निमंत्रित करने की परंपरा वापस लौटेगी, जो 5 दिन की पूजा के दौरान प्रदर्शन करेंगे और प्राचीन गौरव को फिर से जीवित करेंगे।
मूर्ति के बारे में उन्होंने कहा कि हमने दुर्गा प्रतिमाओं और अन्य प्रतिमाओं के लिए मंच को 260 वर्षों तक संरक्षित रखा है और उसी शिल्पकार के वंशज अब मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं। (भाषा)