दोनों ऋतुओं ने हमारी परंपराओं को अनेक रूपों में प्रभावित किया है। हेमंत ऋतु अर्थात मार्गशीर्ष और पौष मास में वृश्चिक और धनु राशियां संक्रमण करती हैं। वसंत, ग्रीष्म और वर्षा देवी ऋतु हैं तो शरद, हेमंत और शिशिर पितरों की ऋतु हैं।
हेमंत ऋतु में कार्तिक, अगहन और पौष मास पड़ेंगे तो कार्तिक मास में करवा चौथ, धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज आदि तीज-त्योहार पड़ेंगे, वहीं कार्तिक स्नान पूर्ण होकर दीपदान होगा।
अगहन अर्थात मार्गशीर्ष मास में गीता जयंती, दत्त जयंती आएगी। पौष मास में हनुमान अष्टमी, पार्श्वनाथ जयंती आदि के अलावा रविवार को सूर्य उपासना का विशेष महत्व है।