असल में काशी के निवासी कहते हैं कि बाबा को यहां दामाद का रूप माना गया है। दामाद स्वरूप पुत्र को यहां के लोग प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। यहां आपको कई साधु, संत, बुजुर्ग शिव मंदिर के सामने से यह बोलकर जाते दिखाई दे सकते हैं- खुश रहा(रहो), प्रसन्न रहा(रहो), दरबार बना रहे, सब मंगल हो, सब कुशल हो यहां तक कि कुछ बुजुर्ग उनके हालचाल जानते भी दिखाई देते हैं....बाबा प्रसन्न हो ना, कोई कमी तो नहीं... एक कदम आगे कुछ लोग बाबा की आवभगत ऐसे करते हैं जैसे दामाद स्वरूप पुत्र की होती है।
कुछ बुजुर्ग महिलाएं दामाद के लिए होने वाली रस्में महाशिरात्रि, सावन, होली, दिवाली और रंगभरी एकादशी पर निभाते देखी जा सकती हैं।