1. तीर्थ क्षेत्र में जाने पर मनुष्य को स्नान, दान, जप आदि करना चाहिए, अन्यथा वह रोग एवं दोष का भागी होता है।
3. जब कोई अपने माता-पिता, भाई, परिजन अथवा गुरु को फल मिलने के उददेश्य से तीर्थ में स्नान करता है तब उसे स्नान के फल का बारहवां भाग प्राप्त हो जाता है।