प्रकृति ने महिलाओं को मासिक धर्म का वरदान दिया है,इसी वरदान से मातृत्व का सुख मिलता है ...मिथुन संक्रांति कथा के अनुसार जिस तरह महिलाओं को मासिक धर्म होता है वैसे ही भूदेवी या धरती मां को शुरूआत के तीन दिनों तक मासिक धर्म हुआ था जिसको धरती के विकास का प्रतीक माना जाता है। तीन दिनों तक भूदेवी मासिक धर्म में रहती हैं वहीं चौथे दिन में भूदेवी जिसे सिलबट्टा भी कहते हैं उन्हें स्नान कराया जाता है।
इस दिन धरती माता की पूजा की जाती है। उडीसा के जगन्नाथ मंदिर में आज भी भगवान विष्णु की पत्नी भूदेवी की चांदी की प्रतिमा विराजमान है। 15 जून 2020 को जानिए मिथुन संक्रांति का मुहूर्त
पुण्यकाल मुहूर्त : दोपहर : 11:52 से 18:16
महा पुण्यकाल मुहूर्त 11:52 से 12:16
संक्राति समय -दोपहर : 11: 52
मिथुन संक्रांति पूजा विधि
1.मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में पूजा जाता है। सिलबट्टे को इस दिन दूध और पानी से स्नान कराया जाता है।
2.इसके बाद सिलबट्टे पर चंदन, सिंदूर, फूल व हल्दी चढ़ाते हैं।
3.मिथुन संक्रांति के दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
4..मिथुन संक्रांति के दिन गुड़, नारियल, चावल के आटे व घी से बनी मिठाई पोड़ा-पीठा बनाया जाता है।
5. इस दिन किसी भी रूप में चावल ग्रहण नहीं किए जाते हैं।
काम की बात
- सूर्य देव 15 जून 2020 को मिथुन में प्रवेश कर रहे हैं
- इस में सूर्य की स्थिति उत्तम मानी जाती है
- इस बार सूर्य के साथ मंगल बुध और राहु भी विद्यमान होंगे
- और इनपर शनि की दृष्टि भी होगी
- सूर्य, मंगल, बुध और राहु के साथ शनि का ये सम्बन्ध राजनैतिक और सामजिक रूप से समस्याएं दे सकता है
- विपरीत स्वभाव के ग्रहों का सम्बन्ध विचित्र परिणाम पैदा करेगा
-प्रकृति ने महिलाओं को मासिक धर्म का वरदान दिया है
- इस वरदान से मातृत्व का सुख मिलता है
- धरती मां को शुरुआत के तीन दिनों तक मासिक धर्म हुआ था