ऐसे समय जबकि लोग अपने मार्ग से भटक गए हैं साईं बाबा ने उनके चित्त को पुन: मार्ग पर लाने के लिए 11 वचन कहे हैं। वेदों में भी कहा गया है कि चित्त को सिर्फ एक जगह ही लगाना चाहिए तो सभी तरह के दुख-दर्द मिट जाते हैं।
कोई एक ईष्ट जरूर होना चाहिए और जीवनभर उसी पर विश्वास और भरोसा कायम रखना चाहिए तभी जीवन में सुख, सफलता और भक्ति मिलती है। साईं में श्रद्धा और सबुरी जरूरी है। यहां प्रस्तुत है साईं बाबा के मूल मराठी में कहे गए 11 वचन और उनका हिन्दी में अनुवाद....
श्रीसद्गुरु साईं बाबा के मूल मराठी भाषा में वचन
शिरडीस ज्याचे लागतील पाय।।
टळती अपाय सर्व त्याचे।।1।।
माझ्या समाधीची पायरी चढ़ेल।।
दुख है हरेल सर्व त्याचे।।2।।
जरी हे शरी गेलो मी टाकून।।
तरी मी धांवेन भक्तांसाठी।।3।।
नवसास माझी पावेल समाधी।।
धरा दृढ़ बुद्धि माइया ठायी।।4।।
नित्य मी जिवंत जाणा हेंची सत्य।।
नित्य घ्या प्रचीत अनुभवें।।5।।
शरण मज आला आणि वाया गेला।।
दाखला दाखवा ऐसा कोणी।।6।।
जो जो मज भजे जैशा जैशा भवें।।
तैसा तैसा पावें मीही त्यासी।।7।।
तुमचा मी भार वाहीन सर्वथा।।
नव्हे हें अन्यथा वचन माझे।।8।।
जाणा येथे आहे सहाय्य सर्वांस।।
मागे जे जे त्यास ते ते लाभे।।9।।
माझा जो जाहला काया-वाचा-मनीं।।
तयाचा मी ऋणी सर्वकाळ।।10।।
साईं म्हणें तोचि, तोचि झाला धन्य।।
झाला जो अनन्य माइया पायी।।11।।
श्री साईं वाक्सुधा : वादावदी नाहीं बरी। नेको कुणाची बरोबरी। नसतां श्रद्धा आणि सबूरी। परमार्थ। तिळभरी साधेना।। मग जो गाई वाडेंकोडें। माझे चरित्र माझे पावडे। तयाचिया मी मागें पुढ़ें। चोहींकडे उभाच।। जो मजलागी अनन्य शरण। विश्रासयुक्त करी मद्भजन। माझें चिंतन माझें।। कृतांताच्या दाढ़ेंतून। काढ़ीन मी निजभक्ता ओढून। करितां केवळ मत्कथा। श्रवण। रोगनिरसन होईल।। 'माझिया भक्तांचे धामी। अन्नवस्त्रास नाहीं कमी।' ये अर्थों श्रीसाई दे हमी। भक्तांसी नेहमीं अवगत।। 'मज भजती जे अनन्यपणें। सेविती नित्याभिमुक्तनें। तयांचा योगक्षेम। चालविणें। ब्रीद हे जाणें मी माझें।। सोडूनियां लाख चतुराई। स्मरा निरंतर साई साई। 'बेडा पार' होईल पाहीं। संदेह कांहीं न धरावा।। मी माझिया भक्तांचा अंकिला। आहें पासीच उभा ठाकला। प्रेमाचा मी सदा भुकेला। हाख हाकेला देतेसें।। 'साईं साईं' नित्य म्हणाल। सात समुद्र करीन न्याहाल। याबोला विश्वास ठेवाल। पावाल कलत्याण निश्चयें।। सद्भावें दर्शना जे जे आले। ते ते स्वानंदरस प्याले। अंतरी आनंद निर्भर धाले। डोलूं लागले प्रेमसुखें।। ज्या माझे नामाची घोकणी। झालाची तयाचे पापाची धुणी। जो मज गुणियाहूनि गुणी। ज्या गुणीगुणी मन्नामीं।। 'जो जो जैसे जैसे करील। तो तो तैसें तैसें भरील।' ध्यानांत ठेवी जो माझे बोल। सौख्य अमोल पावेल तो।।
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साईं के हिन्दी में 11 वचन-
1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा।
2. चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पाव तले दुख की पीढ़ी पर।
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु भागा आऊंगा।
4. मन में रखना पूरण विश्वास, करे समाधि पूरी आस।
5. मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो।
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए।
7. जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप रहा मेरे मन का।
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा।
9. आ सहायता ले भरपूर, जो मांगा वह नहीं है दूर।
10. मुझमें लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया।
11.धन्य-धन्य वे भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य।