Pandit dhirendra krishna garg : आजकल बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र गर्ग बहुत चर्चा में है। रामकथा के साथ ही वे दिव्य दरबार लगाते हैं, जिसमें वे चमत्कारिक रूप से लोगों के मन की बात जानकर उनके दुख दर्द दूर करते हैं।
बागेश्वर धाम : छतरपुर के पास एक गांव गढ़ा में बालाजी हनुमान का एक सिद्ध मंदिर। बलाजी हनुमान मंदिर के सामने ही शिवजी का मंदिर है जिसे महादेव का मंदिर कहते हैं। गढ़ा स्थित बागेश्वर धाम में ही सिद्ध गुरु और दादाजी महाराज की समाधी है। गढा का यह बागेश्वर धाम स्थान उत्तराखंड के बागेश्वर धाम की ही शक्ति है।
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण गर्ग अपने दादाजी भगवानदास गर्ग को ही अपना गुरु मानते थे। उनके दादाजी एक सिद्ध संत थे। वह निर्मोही अखाड़े से जुड़े हुए थे। वे भी दरबार लगाते ते। धीरेन्द्रजी को हनुमानजी और उनके स्वर्गीय दादाजी की ऐसी कृपा हुई की उन्हें दिव्य अनुभूति का अहसास होने लगा और वे भी लोगों के दु:खों को दूर करने के लिए दादाजी की तरह 'दिव्य दरबार' लगाने लगे।
धीरेंद्र जी कहते हैं कि उन्हें हनुमानजी और सिद्ध महाराज के प्रत्यक्ष दर्शन हुए है। 9 वर्ष की उम्र में ही वे हनुमानजी बालाजी सरकार की भक्ति, सेवा, साधना और पूजा करने लगे थे। कहते हैं कि इसी साधना का उन पर ऐसा असर हुआ की, बालाजी की कृपा से उन्हें लोगों के मन की बात पता चलने लगी। बागेश्वर धाम में मंगलवार को अर्जी लगती है। अर्जी लगाने के लिए लोग लाल कपड़े में नारियल बांधकर अपनी मनोकामना बोलकर उस नारियल को यहां एक स्थान पर बांध देते हैं और मंदिर की राम नाम जाप करते हुए 21 परिक्रमा लगाते हैं।
बागेश्वर महाराज : बागेश्वर धाम के रास्ते में ऊंचे ऊंचे पहाड़ और जंगल है। पहले यहां घना जंगल हुआ करता था जहां पर बाघ हुआ करते थे। यहीं पर शंकजी की एक छोटी सी मड़िया है। शंकर जी का ये चंदेल कालीन प्राचीन मंदिर है। इसे बाघेश्वर मंदिर कहते हैं। यहीं पर बलाजी हनुमाजी का मंदिर भी है। इसलिए इन्हें बागेशवर धाम के बालाजी महाराज कहते हैं। एक बागेश्वर धाम उत्तराखंड में भी है जहां पर शिवजी का मंदिर है। उन्हें भी बागेश्वर बोला जाता है।