Mp tourism: मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल जहां जाकर मिलेगा तीर्थ यात्रा का पुण्य लाभ

WD Feature Desk

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025 (17:59 IST)
Mp tourism: मध्यप्रदेश में भारत के अन्य राज्यों कि अपेक्षा अधिक नदियां बहती हैं और यहां जंलग भी अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक हैं। इसी के साथ यदि हम तीर्थ की बात करें तो यहां पर भले ही तीर्थ स्थल उत्तर प्रदेश या उत्तराखंड की अपेक्षा कम हैं परंतु जो भी है उनका पुराणों में बहुत अधिक महत्व बताया गया है। यदि आप तीर्थ का पुण्य लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो मध्यप्रदेश के इन स्थलों पर जरूर जाएं।ALSO READ: नर्मदा तट के तीर्थ
 
1. अमरकंटक । Amarkantak: इंदौर से 741 किलोमीटर दूर भारत के पर्यटन स्थलों में अमरकंटक प्रसिद्ध तीर्थ और नयनाभिराम पर्यटन स्थल है। भारत की प्रमुख सात नदियों में से अनुपम नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है। यहां कई झरने और झील है। दुग्धधारा, कपिलधारा आदि कई झरने हैं। इस स्थल का पुराणों में उल्लेख है। यहां पर कई ऋषि मुनियों ने तपस्या की थी।
 
2. ओमकारेश्वर, महेश्‍वर और मंडलेश्वर | Omkareshwar: इंदौर के पास करीब 90 किलोमीटर दूर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। मानसून में यहां की यात्रा के दौरान नदी और घाटों के नजारे कई गुना ज्यादा सुंदर दिखाई देते हैं। यात्रा के दौरान ऐतिहासिक घाटों, प्राकृतिक खूबसूरती को संजोए पर्वत, आश्रमों, डेम, बोटिंग आदि का लुत्फ भी लिया जा सकता है। ओंकारेश्वर के पास ही महारानी अहिल्याबाई की नगरी महेश्वर को देखना न भूलें। मंडलेश्वर भी पास में स्थित है।
 
3. ओरछा | Orchha : अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल और रामराजा की नगरी ओरछा में प्रतिदिन बड़ी संख्या में भारत से ही नहीं, बल्कि विदेशी सैलानी भी पहुंचते हैं। यहां पर ओरछा के राजाओं द्वारा बनाए गए भव्य मंदिर और स्मारकों को देखना अद्भुत है। बेतवा नदी के तट पर बसे ऐतिहासिक शहर ओरछा की स्थापना 16 वीं शताब्दी में बुंदेला राजपूत प्रमुख रुद्र प्रताप ने की थी।
 
4. सांची के स्तूप | Stupa of Sanchi: सांची एक ऐसी जगह है जो ऐतिहासिक स्‍थलों के साथ ही प्राकृतिक स्थल के लिए भी जाना जाता है। सांची केवल बौद्ध धर्म को समर्पित नहीं है यहां जैन और हिन्दू धर्म से सम्बंधित साक्ष्य मौजूद हैं। मौर्य और गुप्तों के समय के व्यापारिक मार्ग में स्थित होने के कारण इसकी महत्ता बहुत थी और आज भी है। सांची अपने आंचल में बहुत सारा इतिहास समेटे हुए है।
5. चित्रकूट | Chitrakoot: पांच गांव का मिलाकर है चित्रकूट है। इसका कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश और कुछ मध्यप्रदेश में आता है। यहां के सुंदर प्राकृतिक स्थल, कल कल बहते झरने, घने जंगल, चहकते पक्षी और बहती नदियां मानसून एवं प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। चित्रकूट मध्यप्रदेश के सतना जिले में आता है, जबकि चित्रकूट धाम उत्तर प्रदेश में पड़ता है।
 
6. देवास | dewas tekri: इंदौर से लगभग 35 किलोमीटर दूर देवास नगर में माताजी की एक छोटी सी पहाड़ी है। यह बहुत ही अच्‍छा आध्यात्मिकक स्थल है। नवरात्रि में यहां पर लाखों लोगों की भीड़ रहती ह। इसे शक्तिपीठ भी कहा जाता है। देवास में आप घूमने, दर्शन करने के साथ ही पिकनिक का मजा भी ले सकते हैं। देवास से 5 किलोमीटर दूर शंकरगढ़, नागदाह और बिलावली नामक स्थान भी घूमने और पिकनिक के लिए आदर्श स्थान है। यहां पर पहाड़ी पर जाने के लिए आप ट्राम का मजा भी ले सकते हो।
 
7. उज्जैन महाकाल ज्योतिर्लिंग | Ujjain : इंदौर से करीब 60 किलोमीटर दूर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल का विश्‍व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग तीर्थ नगरी उज्जैन में स्थित है। यहां क्षिप्रा नदी बहती है। उज्जैन एक बहुत ही सुंदर शहर है जहां पर हरसिद्धि शक्तिपीठ, गढ़कालिका शक्तिपीठ और काल भैरव का प्राचीन मंदिर है। यहां पर सप्त सागर भी है। यहां घुमने के लिए कई स्थान हैं। उज्जैन में कई पिकनिक स्पॉट है, जैसे कालियादेह पैलेस, विष्णु सागर आदि।
 
8. नेमावर | Nemawar: इंदौर से 110 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे स्थित नेमावर एक बहुत ही प्राचीन और प्राकृतिक स्थल है। यहां पर पांडवों के काल का विशालकाय शिव मंदिर है। प्राचीन जैन मंदिर भी हैं। इस स्थान पर नर्मदा नदी का नाभि स्थल है। यहां पर नदी में एक ऐसा भवंर है जिसके आसपास कोई नहीं जाता है। कहते हैं कि यहां से पानी नीचे पाताल में चला जाता है। नेमावर नदी के उस पार प्राचीन हरदा नामक कस्बा है। इस क्षेत्र में उदयपुरा के जंगल है।
 
9. दतिया | Datia: मध्यप्रदेश में दतियां में बगलामुखी का प्राचीन मंदिर होने के कारण यह शहर पवित्र माना जाता है। मध्यप्रदेश के दतिया शहर में पीतांबरा पीठ स्थित है। इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है। यहां पर महाभारतकालीन वनखण्डेश्वर शिव मंदिर स्थित है। कहते हैं कि पीतांबरा पीठ क्षेत्र में श्री स्वामीजी महाराज के द्वारा मां बगलामुखी देवी और माता धूमवाती देवी की मूर्ति की स्थापना 1935 में की गयी थी।  भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर और शक्तिपीठ माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्यप्रदेश) में हैं। तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है।
 
10. खजुराहो | Khajuraho: खजुराहो के मंदिर भी विश्वप्रसिद्ध हैं, क्योंकि इनकी बाहरी दीवारों में लगे अनेक मनोरम और मोहक मूर्तिशिल्प कामक्रिया के विभिन्न आसनों को दर्शाते हैं। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो का इतिहास काफी पुराना है। खजुराहो में वे सभी मैथुनी मूर्तियां अंकित की गई हैं, जो प्राचीनकाल का मानव उन्मुक्त होकर करता था जिसे न ईश्वर का और न धर्मों की नैतिकता का डर था। 22 मंदिरों में से एक कंदारिया महादेव का मंदिर काम शिक्षा के लिए मशहूर है। खजुराहो एक पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ मंदिरों के गांव के रूप में भी विख्यात है। यहां के मंदिर लगभग 1,000 सालों से भी अधिक पुराने हैं जिन्हें मध्यभारत के चंदेल राजपूत राजाओं ने बनवाया था। 
11. मैहर | Maher: जबलपुर शाहर से आगे मैहर नामक स्थान आता है। यहां पर विश्‍व प्रसिद्ध मैहर की पहाडी पर मां शारदामाई का मंदिर है जो देवी काली को समर्पित है। : त्रिकूट पर्वत पर स्थित माता के इस मंदिर को मैहर देवी का शक्तिपीठ कहा जाता है। मैहर का मतलब है मां का हार। माना जाता है कि यहां मां सती का हार गिरा था इसीलिए इसकी गणना शक्तिपीठों में की जाती है। करीब 1,063 सीढ़ियां चढ़ने के बाद माता के दर्शन होते हैं। दाएं नृसिंह और बाएं भैरव और पहरा हनुमान लगाते हैं। यहां माता शारदा की मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत 559 में की गई थी।
 
12. बावनगजा | Bavangaja: मध्यप्रदेश के बड़वानी शहर से 8 किमी दूर स्थित इस पवित्र स्थल में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेवजी (आदिनाथ) की 84 फुट ऊंची उत्तुंग प्रतिमा है। सतपुड़ा की मनोरम पहाडि़यों में स्थित यह प्रतिमा भूरे रंग की है और एक ही पत्थर को तराशकर बनाई गई है। सैकड़ों वर्षों से यह दिव्य प्रतिमा अहिंसा और आपसी सद्भाव का संदेश देती आ रही है। एक शिलालेख के अनुसार संवत 1516 में भट्टारक रतनकीर्ति ने बावनगजा मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और बड़े मंदिर के पास 10 जिनालय बनवाए थे।
 
इसके अलावा धार, भोजपुर, जानापावा, पुष्‍पगिरि (सोनकच्छ), शनिश्चरा, नलखेड़ा, बेटमा और मांडू को भी शामिल कर सकते हैं। - Anirudh Joshi

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