"श्री कृष्ण" में पांच गुण और भी होते हैं जो नारायण के शरीर में प्रकट होते हैं और ये हैं....
(56) वे अचिंत्य शक्तिमय हैं..
(57) उनके शरीर से असंख्य ब्रह्माण्ड उत्पन्न होते हैं..
(58) समस्त अवतारों के उद्गम वे ही हैं..
(59) वे अपने द्वारा मारे हुए शत्रुओं को भी मुक्ति देने वाले हैं..
(60) वे मुक्तात्माओं के लिए आकर्षक हैं ।
ये सारे गुण भगवान् "श्री कृष्ण" के साकार स्वरूप में अद्भूत ढंग से प्रकट होते हैं । इन साठ दिव्य गुणों के अतिरिक्त "श्री कृष्ण"में चार और भी गुण पाए जाते हैं जो देवताओं या जीवों में तो क्या ,स्वयं नारायण रूप में भी नहीं होते । यह गुण हैं.....
(61) वे अद्भुत लीलाओं के कर्ता हैं ( विषेकर उनकी बाल लीलाएं)
(62) वे अद्भुत भगवत् से युक्त भक्तों द्वारा घिरे रहते हैं
(63) वे अपनी वंशी से सारे जीवों को आकृष्ट कर सकते हैं
(64) उनका रूप सौंन्दर्य अद्भुत है जो सारी सृष्टि में अद्वितीय है।
इन 64 असाधारण गुणों से युक्त श्री कृष्ण 64 कला से भी परिपूर्ण हैं।