महाभारत का प्रसंग है। जब अर्जुन द्वारा अंगराज कर्ण का वध कर दिया गया तब पाण्डवों की माता कुन्ती कर्ण के शव पर उसकी मृत्यु का विलाप करने पंहुची। अपनी माता को कर्ण के शव पर विलाप करते देख युधिष्ठिर ने कुन्ती से प्रश्न किया कि 'आप हमारे शत्रु की मृत्यु पर विलाप क्यों कर रहीं है?'
तब कुन्ती ने युधिष्ठिर को कहा कि "ये तुम्हारे शत्रु नहीं, ज्येष्ठ भ्राता हैं।' और उन्हें पूरी कर्ण जन्म की पूरी कथा सुनाई।
यह सुनकर युधिष्ठिर अत्यन्त दु:खी हुए। उन्होंने माता कुन्ती से कहा कि आपने इतनी बड़ी बात छिपाकर हमें हमारे ज्येष्ठ भ्राता का हत्यारा बना दिया। तत्पश्चात् समस्त नारी जाति श्राप देते हुए युधिष्ठिर बोले - 'मैं आज से समस्त नारी जाति को श्राप देता हूं कि वे अब चाहकर भी कोई बात अपने ह्रदय में नहीं छिपा सकेंगी।' जनश्रुति है कि धर्मराज युधिष्ठिर के इसी श्राप के कारण स्त्रियां कोई भी बात छिपा नहीं सकतीं।