देवी पोलेरम्मा ने उस दु:खी मां से कहा कि, वह उन सभी स्थानों पर हल्दी छिड़क दें, जहां-जहां उनके बेटों का अंतिम संस्कार हुआ है। तब बड़े भाई की पत्नी ने ऐसा ही किया। जब वह घर लौटी तो सातों पुत्र को जीवित देख, उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। तभी से उस गांव की हर माता अपने संतान की लंबी उम्र की कामना से पिठोरी अमावस्या का व्रत रखने लगीं। आज के दिन यह कथा सुनीं और पढ़ी जाती है।