Parashuram Jayanti 2022 : परशुराम की जयंती वैशाख शुक्ल तृतीया को आती है। इस बार यह जयंती 3 मई 2022 को मनाई जाएगी। परशुरामजी के बारे में दो कथाएं ज्यादा प्रचलित है। पहली तो यह कि उन्होंने धरती पर से 36 बार छत्रियों का नाश कर दिया था। दूसरी यह कि उन्होंने अपनी ही माता का सिर काट दिया था। आओ जानते हैं इस संबंध में मान्यता पर आधारित एक कथा।
माता का सिर काट दिया : भृगुवंशी परशुरामजी के पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। कहते हैं कि परशुराम के 4 बड़े भाई थे। एक दिन जब सभी पुत्र फल लेने के लिए वन चले गए, तब परशुराम की माता रेणुका स्नान करने गईं। कुछ मान्यता के अनुसा वे नदी से कलश भरने के लिए गई थीं। जिस समय वे नदी से आश्रम को लौट रही थीं, उन्होंने गन्धर्वराज चित्रकेतु (चित्ररथ) को अप्सराओं के सात जलविहार करते देखा।
यह देखकर उनके मन में विकार उत्पन्न हो गया और वे खुद को रोक नहीं पाईं और उन्हें देखने लगी। यह दृश्य देखने में इतना विलम्ब हुआ कि वे समय पर कलश भरा जल नहीं ले जा पाए और यज्ञ का समय व्यतीत हो गया। जब वह लौटी तो उनकी मानसिक स्थिति जानकर महर्षि जमदग्नि को बहुत क्रोध आया।
इतने में ही वहां परशुराम के बड़े भाई रुक्मवान, सुषेणु, वसु और विश्वावसु भी आ गए। महर्षि जमदग्नि ने उन सभी से बारी-बारी अपनी मां का वध करने को कहा, लेकिन मोहवश किसी ने ऐसा नहीं किया। तब मुनि ने उन्हें श्राप दे दिया जिसके चलते उनकी चेतना और विचार शक्ति नष्ट हो गई। फिर वहां परशुराम आए और तब जमदग्नि ने उनसे यह कार्य करने के लिए कहा। उन्होंने पिता का आदेश पाकर तुरंत अपनी मां का वध कर दिया। माता रेणुका कोंकण नरेश प्रसेनजित की पुत्री थीं।
परशुराम ने मांगे 4 वरदान : यह देखकर महर्षि जमदग्नि बहुत प्रसन्न हुए और परशुराम को वर मांगने के लिए कहा। तब परशुराम ने अपने पिता 4 वर मांगे-
1. माता रेणुका को पुनर्जीवित कर दो।
2. चारों भाई चेतना युक्त हो जाए।
3. माता को मरने और भाईयों को चेतानहिन होने की स्मृति न रहे।
4. मैं परमायु हो जाएं।
एवमस्तु कहते हुए महर्षि जमदग्नि ने उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर दीं।