मेजर दिनेश रघुरमन, कैप्टन हर्षन, नायब सुबेदार चुन्नी लाल और कर्नल विश्वनाथ वेणूगोपाल को गणतंत्र दिवस के मौके पर अशोक चक्र से सम्मानित किया जाएगा। इन सभी रणबाकुरे जवानों को मरणोपरांत यह सम्मान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल गणतंत्रत दिवस के मौके पर देंगी।
अशोक चक्र से सम्मानित इन जवानों में से एक दिनेश रघुरमन का जन्म 6 अप्रैल, 1978 को हुआ। श्री एस.के मूर्ति और श्रीमती माला की इस संतान में बचपन से ही सेना में भर्ती होने की इच्छा थी। सो एनडीए की परीक्षा दी और उसमें सफल होने और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद जाट रेजिमेंट की 19वीं बटालियन में शामिल हो गए।
2 अक्टूबर, 2007 को मेजर रघुरमन और उनकी टुकड़ी ने जम्मु- कश्मीर के बारामुला में आतंकवादियों के एक घर में छूपे होने की आशंका पर उन्हें ललकारा। रण बाकुरे जवानों को देख भयभीत आतंकवादियों ने गोलाबारी शुरू कर दी।
मेजर रघुरमन अभी आतंवादियों के ठिकाने के पास पहुँचे ही थे कि उन्हें उनके साथी आधिकारी की आवाज सुनाई पड़ी, जो गंभीर रूप से घायल हो गया था। अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए मेजर रघुरमन ने एक सच्चे सैनिक का फर्ज निभाया और गोलियों की बौछार के बीच उसे बचने के लिए दौड़ पडे़। सूझबूझ और हिम्मत के दम पर इस अधिकारी सहित दो अन्य घायल सैनिकों की जान बचाई। इस दौरान उन्होंने अपने शरीर पर कई गोलियाँ झेलते हुए भी दो आतंकवादियों को ढ़ेर कर दिया। मेजर रघुरमन ने होश रहने तक आतंकवादियों को मुकाबला किया और आतंकवादियों को हथियार डालने के लिए मजबूर कर दिया।
देश में अमन चैन बनाए रखने के लिए भारत माँ के इस सपूत ने अपना बलिदान कर दिया और सेना की सर्वोच्च प्रतिष्ठा को कायम रखा। त्याग, साहस और बलिदान के इस अमर सपूत को शत् शत् नमन्।