खिले थे गुलाबी, नीले, हरे और जामुनी फूल हर उस जगह जहां छुआ था तुमने मुझे, महक उठी थी केसर जहां चूमा था तुमने मुझे, बही थी मेरे भीतर नशीली बयार जब मुस्कुराए थे तुम, और भीगी थी मेरे मन की तमन्ना जब उठकर चल दिए थे तुम, मैं यादों के भंवर में उड़ रही हूं अकेली, किसी पीपल पत्ते की तरह, तुम आ रहे हो ना थामने आज ख्वाबों में, मेरे दिल का उदास कोना सोना चाहता है, और मन कहीं खोना चाहता है तुम्हारे लिए, तुम्हारे बिना।