मैं अक्सर हौले से चलकर तेरे घर आ जाता हूँ तुम्हारे साथ में बैठकर तुम्हें देख भी लेता हूँ ;
और जब तुम घर के काम कर रही होती हो तो, मैं तुमसे बातें करते रहता हूँ ... यूँ ही, कुछ इधर-उधर की बातें ; जिनका मतलब होता है कि ;
मैं तुमसे प्यार करता हूँ ...
और हाँ ; तेरे हाथों के कौरों में मेरा भी तो हिस्सा होता है ... तुम जब चलती हो घर में ; एक कमरे से दूसरे कमरे में जाते हुए, तुम जान नहीं पाती हो कि, मैं भी तो होता हूँ उन्हीं कदमों के साथ .. और जब तुम नींद में जाती हो ; तो मैं भी वहाँ लेटा हुआ तुम्हारी पीठ देखते रहता हूँ ... और अपनी ऊँगली से उस पर तेरा और मेरा ; नाम लिखते रहता हूँ ...
और जब तुम यूँ ही अचानक ; ठहरी हुई हवा में मुझे ढूँढती हो; तो मैं मुस्कराता हूँ ... फिर देखता हूँ कि ; तुम्हारी आँखों की छोर पर एक बूँद आँसू की ठहरी हुई होती हैं; मेरा नाम लिए हुए.. तुम उसे पोंछ देती हो ; ये देखते हुए कि किसी ने देखा तो नहीं...