सज़ा की ख़्वाहिश मैंने तेरे जिस्म के होते क्यों कुछ देखा। मुझको सज़ा इसकी दी जाए।
मंज़र कितना अच्छा होगा मैं सुबह-सवेरे जाग उठा तू नींद की बारिश में भीगा तन्हा होगा रस्ता मेरा तकता होगा मंज़र कितना अच्छा होगा।
जागने का लुत्फ़ तेरे होंठों पे मेरे होंठ हाथों के तराजू में बदन को तोलना और गुम्बदों में दूर तक बारूद की ख़ुशबू बहुत दिन बाद मुझको जागने में लुत्फ़ आया है।