प्रेम काव्य : तेरे बिन किस्मत नहीं मिलती...
- कैलाश प्रसाद यादव 'सनातन'
तेरे बिन सांसें नहीं चलतीं, तेरे बिन कलियां नहीं खिलतीं।
नयन तो सबके होते लेकिन, तेरे बिन नजरें नहीं मिलतीं।।
सांझ-सवेरे तुझसे होते, तुझसे ही हम हंसते-रोते।
सूरज-चंदा नीलगगन ये, शाम-सुबह जाने कहां खोते।।
सब कुछ मिलता जग में लेकिन, तेरे बिन किस्मत नहीं मिलती।
तेरे बिन सांसें नहीं चलतीं, तेरे बिन कलियां नहीं खिलतीं।
नयन तो सबके होते लेकिन, तेरे बिन नजरें नहीं मिलतीं।।
सबके सीने में दिल होता है, सबके दिल में धड़कन है।
जब तक तेरी मर्जी न हो, धड़कन में वो लय नहीं बनती।।
तेरे बिन सांसें नहीं चलतीं, तेरे बिन कलियां नहीं खिलतीं।
नयन तो सबके होते लेकिन, तेरे बिन नजरें नहीं मिलतीं।।
कर्म जरूरी जग में लेकिन, किस्मत से सब मिलता है।
सबके दिल में इक न इक दिन, पुष्प प्यार का खिलता है।।
दिल कस्तूरी, हिना हथेली, तेरे बिन जग में नहीं रचती।
तेरे बिन सांसें नहीं चलतीं, तेरे बिन कलियां नहीं खिलतीं।
नयन तो सबके होते लेकिन, तेरे बिन नजरें नहीं मिलतीं।।