प्रेम न छोटा है, न बड़ा है।
प्रेम न तेरा है, न मेरा है।
प्रेम न अहम, न बड़प्पन है।
उसे छूने का अहसास होता है।
उसकी हर कमी अच्छी लगती है।
उसकी हर बात विशेष होती है।
उसका हर सुख फूल का अहसास देता है।
उसका हर दु:ख शूल-सा हृदय बेधता है।
उसकी मुस्कान मन में हजारों बगीचे खिला देती है।