फिर एक कहानी अधूरी

फाल्गुन

आज बहुत दूर तक
आने के बाद
मुड़कर देखा
कुछ नहीं था
एक चीखते सन्नाटे के सिवा
ठहर सी गई हूँ
ये सोचकर कि
अब न वो वक्त रहा
और न वो तुम रहे
चल पड़ी हूँ
ये सोचकर कि
अब न वो बातें होंगी
और न वो यादें होंगी
फिर एक 'कहानी' अधूरी
रह गई है।

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