वेदों, उपनिषदों और गीता के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा की 8 तरह की गतियां मानी गई है। यह गतियां ही आत्मा की दशा या दिशा तय करती है। यह चित्त की अवस्था और कर्मानुसार संचालित होती है। इन आठ तरह की गतियों को मूलत: दो भागों में बांटा गया है- 1.अगति और 2. गति।
2. गति : गति में जीव को किसी लोक में जाना पड़ता है।
*अगति के प्रकार : अगति के चार प्रकार है- 1.क्षिणोदर्क, 2.भूमोदर्क, 3. अगति और 4.दुर्गति।
*भूमोदर्क : भूमोदर्क में वह सुखी और ऐश्वर्यशाली जीवन पाता है।
*अगति : अगति में नीच या पशु जीवन में चला जाता है।
*दुर्गति : गति में वह कीट, कीड़ों जैसा जीवन पाता है।
*गति के प्रकार : गति के अंतर्गत चार लोक दिए गए हैं: 1.ब्रह्मलोक, 2.देवलोक, 3.पितृलोक और 4.नर्कलोक। जीव अपने कर्मों के अनुसार उक्त लोकों में जाता है।