*सभी जानते हैं कि देवराज इंद्र का पुत्र और किष्किंधा का राजा बाली जिससे भी लड़ता था लड़ने वाला कितना ही शक्तिशाली हो उसकी आधी शक्ति बाली में समा जाती थी और लड़ने वाला कमजोर होकर मारा जाता था।
* बाली ने सुग्रीव की पत्नी और संपत्ति हड़पकर उसको राज्य से बाहर धकेल दिया था। यही कारण था कि प्रभु श्रीराम ने सुग्रीव से अपने बड़े भाई बाली से युद्ध करने को कहा और इसी दौरान श्रीराम ने छुपकर बाली पर तीर चला दिया और वह मारा गया।
*बाली ने अपनी इस अद्भुत शक्ति के बल पर हजार हाथियों का बल रखने वाले दुंदुभि नामक असुर का वध कर दिया था। दुंदुभि के बाद बाली ने उसके भाई मायावी का भी एक गुफा में वध कर दिया था। इस घटना के बाद ही बाली और सुग्रीव के बीच शत्रुता पैदा हो गई थी।
*रावण ने बाली की शक्ति के चर्चे सुनकर उससे युद्ध करने की ठानी लेकिन बाली ने रावण को अपनी कांख में छह माह तक दबाए रखा था। अंत में रावण ने उससे हार मानकर उसे अपना मित्र बना लिया था।
*रामायण के अनुसार बाली को उसके धर्मपिता इंद्र से एक स्वर्ण हार प्राप्त हुआ था। इस हार की शक्ति अजीब थी। इसी हार के कारण बाली लगभग अजेय था। उसने कई युद्ध लड़े और सभी में वह जीता।
*इस स्वर्ण हार को ब्रह्मा ने मंत्रयुक्त करके यह वरदान दिया था कि इसको पहनकर बाली जब भी रणभूमि में अपने शत्रु का सामना करेगा तो उसके शत्रु की आधी शक्ति क्षीण हो जाएगी और यह आधी शक्ति बाली को प्राप्त हो जाएगी। यही बाली की शक्ति का राज था।
*बाली के पिता का नाम वानरश्रेष्ठ 'ऋक्ष' था। बाली का एक पुत्र था जिसका नाम अंगद था। बाली का विवाह वानर वैद्यराज सुषेण की पुत्री तारा के साथ संपन्न हुआ था। तारा एक बहुत ही सुंदर अप्सरा थी।