भारत में प्रमुख रूप से आरावली, हिमालय, नीलगिरी, मैकाल, सहयाद्रि, सतपुड़ा, धौलागिरि, कृष्णागिरि, सागरमाथा, विन्ध्याचल, गिरनार, शेवराय, पालनी, खासी, पटकोर्ड, अराकानयोमा, शिवालिक, हिंदकुश आदि कई पर्वत श्रृंखलाएं हैं। उक्त पर्वत श्रृंखलाओं में कई छोटी और बड़ी पहाड़ियां और पहाड़ हैं
उक्त सभी में से सबसे प्राचीन या पुरानी पर्वत श्रृंखला कौन-सी है यह अभी भी शोध का विषय हैं, लेकिन वर्तमान अनुसार सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाएं राजस्थान में हैं जबकि हिमालय को सबसे नवीनतम पर्वत श्रृंखला माना जाता है जिसके अतंर्गत कई ऊंची-ऊंची पहाड़ियां आती है।
अरावली भारत के पश्चिमी भाग राजस्थान में स्थित एक पर्वतमाला है। भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। यह भी कहा जाता है कि यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है, जो राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बांटती है। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही जिले में गुरुशिखर (1727 मी.) है, जो माउंट आबू में है। अरावली पर्वत श्रृंखला की कुल लंबाई गुजरात से दिल्ली तक 692 किलीमीटर है। वर्तमान में यह पर्वत श्रृंखला विकास के नाम पर अपना अस्तित्व खो रही है।
अरावली की पर्वत श्रृंखलाएं : यह पर्वत प्राचीन भारत के सप्तकुल पर्वतों में से एक है। इसे भी हिन्दूकुश पर्वत की तरह पारियात्र या पारिजात पर्वत कहा जाता है। वह इसलिए कि यहां पर पारिजात वृक्ष पाया जाता है। भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। भू-शास्त्र के अनुसार भारत का सबसे प्राचीन पर्वत अरावली का पर्वत है। माना जाता है कि यहीं पर श्रीकृष्ण ने वैकुंठ नगरी बसाई थी। राजस्थान में यह पहाड़ नैऋत्य दिशा से चलता हुआ ईशान दिशा में करीब दिल्ली तक पहुंचा है। अरावली या 'अर्वली' उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। राजस्थान राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुजरती 560 किलोमीटर लंबी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियां दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं।
अगर गुजरात के किनारे अर्बुद या माउंट आबू का पहाड़ उसका एक सिरा है तो दिल्ली के पास की छोटी-छोटी पहाड़ियां धीरज (The Ridge) दूसरा सिरा। आबू के पहाड़ का सबसे ऊंचा शिखर सिरोही जिले में गुरुशिखर 1727 मी. से भी अधिक ऊंचा है जबकि धीरज टेकरियों की ऊंचाई 50 फुट की ही होगी। राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, पंजाब आदि राज्यों में इस पर्वत की श्रृंखलाएं फैली हुई हैं। ऋग्वेद में अर्बुद नामक असुर का जिक्र आता है।
नष्ट कर रहे हैं अरावली को : अरावली पर्वत श्रृंखला कई प्राकृतिक और खनिज संपदाओं से लबरेज है। यह पर्वत श्रेणी क्वार्ट्ज चट्टानों से निर्मित है। इनमें सीसा, तांबा, जस्ता आदि खनिज पाए जाते हैं। यहां की अधिकतर चट्टानें देशभर में लोगों के घर का फर्श बनकर नष्ट हो गई हैं।
सिंधु को लांघकर मध्यप्रदेश की ओर जाते यह पहाड़ और उसकी अनेक शाखाएं आड़ी आती हैं इसलिए इसका 'आडावली' नाम पड़ा होगा। आडावली के पहाड़ बड़े हों या छोटे, वनस्पति-सृष्टि को आज भी प्रश्रय देते हैं और उन जंगलों में शेर, चीता आदि वन्य पशुओं को भी प्रश्रय मिलता है और यहां कई पहाड़ी वन्य जातियां भी उसके आश्रय से कृतार्थ होकर लोकगीतों में अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती हैं। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली है।
नदियां : अरावली परिसर में जन्म लेने वाली नदियों की संख्या भी कम नहीं है। वेदस्मृति (बनास), वेदवती (बेरछ), वृत्रघ्नी (उतंगन), सिंधु (काली सिंध), वेण्या या वर्णाशा नंदिनी अथवा चंदना (साबरमती), सदानीरा या सतीरापारा (पार्वती), चर्मण्वती या धन्वती (चंबल), तूपी या रूपा या सूर्य (गंभीर), विदिशा या विदुषा (बेस), वेत्रवती या वेणुमती (बेतवा), शिप्रा या अवर्णी या अवंती।
प्रमुख चोटियां हैं-
* सेर- 1597 मीटर
* अचलगढ़- 1380 मीटर
* देलवाड़ा- 1442 मीटर
* आबू- 1295 मीटर
* ऋषिकेश- 1017 मीटर
सबसे प्राचीन मेरू पर्वत :
हालांकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मेरू पर्वत दुनिया का सबसे प्राचीन और ऊंचा पर्वत है। इसे सुमेरू भी कहा जाता है। जम्बू द्वीप के आसपास 6 द्वीप थे- प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। जम्बू द्वीप धरती के मध्य में स्थित है और इसके मध्य में इलावृत नामक देश है। आज के कजाकिस्तान, रूस, मंगोलिया और चीन के मध्य के स्थान को इलावृत कहते हैं। इस इलावृत के मध्य में स्थित है सुमेरू पर्वत।
इलावृत के दक्षिण में कैलाश पर्वत के पास भारतवर्ष, पश्चिम में केतुमाल (ईरान के तेहरान से रूस के मॉस्को तक), पूर्व में हरिवर्ष (जावा से चीन तक का क्षेत्र) और भद्राश्चवर्ष (रूस), उत्तर में रम्यकवर्ष (रूस), हिरण्यमयवर्ष (रूस) और उत्तकुरुवर्ष (रूस) नामक देश हैं। मिस्र, सऊदी अरब, ईरान, इराक, इसराइल, कजाकिस्तान, रूस, मंगोलिया, चीन, बर्मा, इंडोनेशिया, मलेशिया, जावा, सुमात्रा, हिन्दुस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान का संपूर्ण क्षेत्र जम्बू द्वीप था।