परस्वानां च हरणं परदाराभिमर्शनम्।
सुह्मदयामतिशंका च त्रयो दोषाः क्षयावहाः।। ६.८७.२४ ।।- वाल्मिकी रामायण
दूसरों की वस्तु हड़पना : हर कोई दूसरों की वस्तु हड़पना चाहता है। ऐसे में कई लोग हैं जो दूसरों की वस्तु को हड़पने के लिए छल, कपट और युक्ति का सहारा लेते हैं। हड़पी या चुराई गई वस्तु से कभी सुख नहीं मिलता अपितु उससे व्यक्ति को नुकसान झेलना पड़ता है। दूसरों के धन का अपहरण करने वाले पापी को कृष्ण (अंधकार) नामक नरक में गिराया जाता है।