पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनिदेवजी का जन्म हुआ था। अंग्रेजी माह के अनुसार इस बार शनि जयंती 10 जून 2021 गुरुवार को मनाई जाएगी। आओ जानते हैं शनिपूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और क्या है पूजा विधि।
नोट : यह दान-पुण्य, श्राद्ध-तर्पण पिंडदान की अमावस्या भी है। इसी दिन सावित्री व्रत भी रखा जाएगा। इसी दिन सूर्य ग्रहण भी होगा जो भारत में नहीं दिखाई देगा इसीलिए सूतकाल मान्य नहीं है।
पूजा का शुभ मुहूर्त :
1. ब्रह्म मुहूर्त: 04:08 एम से 04:56 एम तक रहेगा।
2. अमृत काल - 08:08 एम से 09:56 एम तक रहेगा। इस समय में पूजा कर सकते हैं।
3. अभिजीत मुहूर्त:- 11:52 एम से 12:48 पीएम तक रहेगा। इस समय में पूजा कर सकते हैं।
4. राहु काल 02:04 पीएम से 03:49 पीएम तक है। इसमें पूजा ना करें।
घर पर शनिदेव की पूजा कैसे करें: शनि पूजन विधि :
1. जिस समय पूजा करना है उससे पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और काले या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
2. अब पूजा घर में तेल का दीपक जलाकर पहले भगवान गणेशजी की पूजा करें। उन्हें हार, फूल और सिंदूर या कंकू चढ़ाकर आरती उतारें।
3. फिर भगवान शिव और हनुमाजी को फल और फूल चढ़ाएं और उनकी भी आरती उतारें।
4. घर में शनिदेव की प्रतिमा या चित्र नहीं लगाते हैं तो एक पाट पर काला कपड़ा बिछाकर शनिदेव का ध्यान करें। चित्र हो तो पाट पर चित्र रखकर भी ध्यान करे सकते हैं।
5. चित्र ना हो तो एक सुपारी रखें और उसे ही शनिदेव की मूर्ति मानकर उसका पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवाएं।
6. फिर उसके दोनों और शुद्ध तेल का दीपक जलाएं, धूप जलाएं और फिर सिंदूर, कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल आदि के साथ-साथ नीले या काले फूल शनिदेव को अर्पित करें।
7. फिर श्री फल के साथ-साथ अन्य फल भी अर्पित कर सकते हैं। तेल, तिल, काला उड़द, इलायची, पान, काला धागा आदि शनि से संबंधित वस्तुएं अर्पित करें। तेल में बनी पुड़ियां, इमरती भी अर्पित करें।
8. पंचोपचार व पूजन की इस प्रक्रिया के बाद शनि मंत्र की एक माला का जाप करें। माला जाप के बाद शनि चालीसा का पाठ करें। फिर शनिदेव की कपूर से आरती उतार कर पूजा संपन्न करें।
9. पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें। उपवास के बाद भूलकर भी मांसाहारी भोजन का सेवन ना करें।