मुंबई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनिश्चित रुख और वैश्विक आर्थिक विकास की धीमी पड़ी रफ्तार के बावजूद अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अगले साल समान गति से ब्याज दर बढाए जाने के संकेत देने से अमेरिकी शेयर बाजार के साथ दुनियाभर के अधिकतर बाजारों में गिरावट हावी रही। बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स शुक्रवार को 689.60 अंक की तेज गिरावट के साथ 35,74.207 अंक पर और एनएसई का निफ्टी 197.70 अंक लुढ़ककर 10,754.00 अंक पर बंद हुआ।
ट्रंप ने अमेरिकी सरकार की फंडिंग पर तब तक हस्ताक्षर करने से मना कर दिया, जब तक कि दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर बाड़ लगाने के लिए 5 अरब डॉलर के विधेयक को पारित नहीं किया जाता है। ट्रंप के इस कदम से अमेरिकी सरकार पर शटडाउन का संकट मंडराने लगा है। इसी बीच सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को हटाने के उनके निर्णय के खिलाफ अमेरिका के रक्षामंत्री जिम मैटिस ने भी गुरुवार को पद से इस्तीफा दे दिया। अमेरिका में जारी इस उथल-पुथल से निवेशकों में अफरा-तफरी मच गई है।
फेड रिजर्व ने गुरुवार को इस साल चौथी बार ब्याज दर बढाए जाने की घोषणा की और साथ ही अगले साल भी समान गति से ब्याज दर बढाए जाने के संकेत दिए हैं। ब्याज दर बढ़ाए जाने की स्थिति में निवेशकों का रुझान जोखिमभरे निवेश में घट जाता है। अमेरिकी सरकार पर शटडाउन पर खतरा मंडराने लगा है जिससे आईटी और टेक क्षेत्र में भारी गिरावट रही। आईटी क्षेत्र का सूचकांक 2.62 प्रतिशत और टेक का 2.60 प्रतिशत गिर गया। बीएसई के सभी 20 समूहों के सूचकांक में गिरावट दर्ज की गई। (वार्ता)