हमारे सनातन धर्म में दान का बहुत महत्त्व है। शास्त्रानुसार धन की तीन गतियां बताई गईं हैं- दान, भोग व नाश अर्थात जिस धन को ना दान किया जाता है और ना ही उसे भोगा जाता है तो उसका नष्ट होना अवश्यंभावी है। इसमें भी दान को प्रथम सोपान पर रखते हुए भोग से श्रेष्ठ बताया गया है।