इस दिन मां लक्ष्मी की शाम के समय पूजाकर उन्हें मीठे का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु ने इस दिन लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग बताया था। यह व्रत 16 दिन तक चलता है। लक्ष्मी का रूप राधा के जन्म यानी राधाअष्टमी से लेकर पितृपक्ष की अष्टमी तक रोज 16 जिन व्रत किया जाता है और चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। 16वें दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
पूजा में कोई सोने की वस्तु जरूर रखें।
इसके बाद कथा कहकर आरती करें। फूल, फल मिठाई और पंच मेवे चढ़ाएं।