16 shradh paksha 2024: सर्वपितृ अमावस्या पर कर लें मात्र 5 कार्य तो सर्वबाधा मुक्ति का मिलेगा आशीर्वाद

WD Feature Desk
शनिवार, 21 सितम्बर 2024 (12:00 IST)
Pitru Paksha 2024: श्राद्ध पक्ष में सर्वपितृ अमावस्या 02 अक्टूबर 2024 बुधवार को रहेगी। सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। इस दिन यदि आप संकटों से मुक्ति के लिए करें मात्र 3 काम तो सर्वबाधा मुक्ति के लिए मिलेगा आशीर्वाद।ALSO READ: Sarvapitri amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या पर इन 12 को खिलाएं खाना, पितृदोष से मिलेगी मुक्ति
 
1. पंचबलि कर्म : इस‍ तिथि पंचबलि अर्थात गोबलि, श्वानबलि, काकबलि, पिप्लादिबलि, देवादिबलि कर्म जरूर करें। अर्थात गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी और देव को अन्न अर्पण। इन सभी के लिए विशेष मंत्र बोलते हुए भोजन सामग्री निकालकर उन्हें ग्रहण कराई जाती है। अंत में ब्राह्मण, भांजे, जमाई, मामा, नाती हेतु भोजन परोसा जाता है। पीपल, बरगद, बेल, कौआ, हंस, गरुड़, कुत्ता, गाय, हाथी, ब्राह्मण, भांजा, जमाई, बेटी, मछली, कछुआ और नाग- इन 16 को तृप्त करने से सभी पितृ और देव भी तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।
 
2. तर्पण और पिंडदान : सर्वपितृ अवमावस्या पर तर्पण और पिंडदान का खासा महत्व है। चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित करने के बाद जल में बहा देते हैं। पिंडदान के साथ ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया जाता है।
Pitru Paksha 2024
3. दिव्य पितरों की करें पूजा : काव्यवाडनल, सोम, अर्यमा और यम- ये चार दिव्य पितरों की जमात के मुख्य गण प्रधान हैं। अर्यमा को पितरों का प्रधान माना गया है और यमराज को न्यायाधीश। पितरों के साथ इन चारों की विधिवत पूजा करने से सर्वबाधा मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है।ALSO READ: श्राद्ध पक्ष कब से प्रारंभ हो रहे हैं और कब है सर्वपितृ अमावस्या?
 
4. प्रायश्‍चित कर्म : इस दिन शास्त्रों में मृत्यु के बाद और्ध्वदैहिक संस्कार, पिण्डदान, तर्पण, श्राद्ध, एकादशाह, सपिण्डीकरण, अशौचादि निर्णय, कर्म विपाक आदि के द्वारा पापों के विधान का प्रायश्चित कर्म किया जाता है। किसी पंडित से विधिवत करवाने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है।
 
5. गीता पाठ : गीता में मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। इसीलिए यह इसका पाठ करना चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या के दिन गीता के कुछ खास अध्यायों का पाठ करें या संपूर्ण गीता पाठ करें। इसकी साथ ही गरूढ़ पुराणों के कुछ अध्यायों का भी पाठ किया जाता है।ALSO READ: Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या के दिन विदा होते हैं पितर, जानें डेट व तर्पण के लिए कुतुप मुहूर्त

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