हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलता है। श्राद्ध की 16 तिथियां होती हैं, पूर्णिमा, प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या। अब जब भी पूर्णिमा होगी उस दिन से श्राद्ध प्रारंभ मान लिया जाएगा। पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ इस बार 1 सितंबर से प्रारंभ होकर 2 सितंबर तक रहेगा इसीलिए तारीख तो दो है परंतु तिथि एक ही है।
हिन्दू पंचांग में एक तिथि 19 से लेकर 24 घंटे तक हो सकती है। लेकिन अंग्रेजी तारीखें 24 घंटे के बाद रात्रि को परिवर्तित हो जाती है जो कि वैज्ञानिक नहीं है। इसीलिए कई बार एक अंग्रेजी तारीख में दो तिथियां भी होती हैं। परंतु इसमें सूर्योदय की तिथि को मुख्य तिथि माना जाता है। 1 सितंबर को चतुर्दशी तिथि सुबह 09:40:54 तक रहेगी इसके बाद पूर्णिमा प्रारंभ हो जाएगी। इसके बाद पूर्णिमा अगले दिन सुबह 10:53:42 तक रहेगी। स्थानीय समय अनुसार इसमें कुछ एक मिनट की घट-बढ़ रहेगी। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म दोपहर में ही किए जाते हैं अत: स्थानीय समय अनुसार ही श्राद्ध करें।
वर्ष 2020 में पितृपक्ष वैसे तो 01 सितंबर 2020 से ही प्रारंभ हो रहा है परंतु कुछ विद्वान 02 सितंबर से प्रारंभ मान रहे हैं। यह श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर 2020 तक रहेगा, इसके बाद 18 सितंबर से पुरुषोत्तम पास प्रारंभ होकर यह मास 16 अक्टूबर 2020 तक रहेगा जिसे मलमास या अधिकमास भी कहते हैं। इसके बाद ही नवरात्रि का पर्व प्रारंभ होगा। इस बार अनंत चतुर्दशी 31 अगस्त को भी है और 1 सितंबर को भी।