Sawan ka pehla somwar 2023 : 4 जुलाई से श्रावण मास प्रारंभ हो रहा है जो 31 अगस्त तक चलेगा। इस बार अधिक मास के दिन जुड़ जाने के कारण सावन का माह पूरे 59 दिनों का रहेगा। ऐसे में दो माह का सावन मास रहेगा जिसमें 8 सोमवार रहेंगे। हर सोमवार का अपना अलग ही महत्व होता है। आओ जानते हैं कि सावन का पहला सोमवार कब रहेगा और क्या है इसका महत्व।
सावन के पहले सोमवार को क्या करें-
प्रात: काल उठकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें।
इसके बाद आचमन करके सफेद वस्त्र धारण करें।
इसके बाद जल में गंगाजल, बिल्व पत्र और काले तिल मिलाकर शिवजी को जलाभिषेक करें।
इस दौरान 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
शिवजी को उनके मनपसंद का भोग लगाएं।
अब भगवान शिव की पंचोपचार पूजा करें।
पूजा के बाद आक, धतूरा, हरसिंगार के फूल अर्पित करें।
इसके बाद चाहें तो शिव चालीसा, शिव तांडव स्त्रोत आदि का पाठ करें।
अंत में आरती उतारें और सभी को प्रसाद का वितरण करें।
सावन का पहला सोमवार जानें नियम:-
10 जुलाई को आषाड़ी कृष्ट अष्टमी के दिन सोमवार रहेगा।
श्रावण सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है।
इस मास में भगवान शिव की बेलपत्र से पूजा करना श्रेष्ठ एवं शुभ फलदायक है।
व्रत में एक समय भोजन करने को एकाशना कहते हैं और पूरे समय व्रत करने को पूर्णोपवा कहते हैं।
यह व्रत कठित होते हैं। ऐसा नहीं कर सकते कि आप सुबह फलाहार ले लें और फिर शाम को भोजन कर लें या दोनों ही समय फलाहार लेकर समय गुजार दें।
बहुत से लोग साबूदाने की खिचड़ी दोनों समय डट के खा लेते हैं, तो फिर व्रत या उपवास का कोई मतलब नहीं।
व्रत या उपवास का अर्थ ही यही है कि आप भोजन को त्याग दें।
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं।
सावन सोमवार, सोलह सोमवार और सोम प्रदोष।
महिलाओं के लिए सावन सोमवार की व्रत विधि का उल्लेख मिलता है।
उन्हें उस विधि के अनुसार ही व्रत रखने की छूट है।
शिवपुराण के अनुसार जिस कामना से कोई इस मास के सोमवारों का व्रत करता है उसकी वह कामना अवश्य एवं अतिशीघ्र पूरी हो जाती है।
जिन्होंने 16 सोमवार व्रत करने हैं वह भी सावन के पहले सोमवार से व्रत करने की शुरुआत कर सकते हैं।