सावन माह 2023 : श्रावण माह में व्यक्ति को पार्थिव शिवलिंग, बिबर मिट्टी के शिवलिंग, स्वयंभू शिवलिंग, पुराणलिंग, मनुष्यलिंग या परद शिवलिंग की पूजा करना चाहिए। इसमें भी आमजन को पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने का विधान है। आओ जानते हैं कि कैसे करते हैं पार्थिव शिवलिंग की पूजा।
पार्थिव शिवलिंग पूजा विधि- Parthiv shivling puja vidhi:-
मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उसे किसी शुद्ध पात्र में या पाट पर स्थापित करें।
इसके बाद धूप और दीप प्रज्वलित करके कर्पर जलाएं।
अब उस शिवलिंग पर थोड़ा सा जल अर्पित करें।
इसके बाद पंचामृत यानी दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर अर्पित करें।
अब पुन: थोड़ा सा जल अर्पित करें।
इसके बाद गुलाल, अबीर, भस्म, सफेद चंदन, रुद्राक्ष, फूल, फल, प्रसाद आदि अर्पित करें।
इसके बाद अंत में शिवजी की आरती उतारें। आरती के बाद प्रसाद वितरण करें।
इसके बाद किसी गरीब को भोजन कराएं और अंत में खुद खाएं।
क्या है पार्थिव शिवलिंग :
मिट्टी के शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है।
यह शिवलिंग मिट्टी, गऊ का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर बनाया जाता है।
इस शिवलिंग के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि यह 12 अंगुल से ऊंचा नहीं हो।
पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व :
पार्थिव पूजन से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं।
इस शिवलिंग की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है
पार्थिव पूजन से सभी तरह के दु:ख दूर होकर मनोकामना पूर्ण होती है।
शिव महापुराण अनुसार पार्थिव पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र की प्राप्ति होती है।
कलयुग में मोक्ष की प्राप्ति और व्यक्ति की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पार्थिव पूजन सबसे उत्तम बताया गया है।
कहते हैं कि कलिकाल में कूष्मांडा ऋषि ने इस पार्थिव शिवलिंग का पूजन प्रारंभ करवाया था।
जो भी व्यक्ति मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पार्थिव शिवलिंग पूजन रुद्राभिषेक करता है, भगवान उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण करते हैं।