इस मंदिर का इतिहास पांडवकालीन माना जाता है। स्थानीय कथा के अनुसार इस जगह पर पांडव अज्ञातवास के दौरान आए थे। इसके प्रमाण वहां स्थित पौड़ियों से मिलता है। यहां पर पांडव जब आए थे तो वे अपने से हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन, नासिक और रामेश्वरम का जल लेकर आए थे। इस जल को यहां स्थित तालाब में अर्पित कर दिया था जिसे 'पंचतीर्थी' के नाम से जाना जाता है। तभी से पंचतीर्थी में स्नान को गंगा स्नान के तुल्य माना जाता है। इस मंदिर परिसर में भगवान शिव श्री कालीनाथ सहित 9 मंदिर तथा 20 मूर्तियां स्थापित हैं।
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