इस पर भी भोलेनाथ ने दूध से उनका सेवन करने की अनुमति मांगी, दूध से सहमति मिलने के बाद शिव ने उसका सेवन किया, जिससे विष का असर काफी कम हो गया। बाकी बचे विष को सर्पों ने पिया, इस तरह समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष से सृष्टि की रक्षा की जा सकी। अत: शिव के शरीर में जाकर विष के अनिष्टकारी प्रभाव को कम करने के कारण दूध भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, यही कारण है कि शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाया जाता है।