कावड़ यात्रा में कावड़िये दो मटकियों में किसी नदी या सरोवर का जल भरकर दूर किसी शिव मंदिर में शिवलिंग का उस जल से जलाभिषेक करते हैं। यात्रा प्रारंभ करने से पूर्ण होने तक का सफर पैदल ही तय किया जाता है। बहुत से लोग किसी न किसी कारणवश कावड़ यात्रा नहीं कर पाते हैं लेकिन उनके मन में रहता है कि वे भी इस यात्रा में शामिल हो। यदि आप भी यदि सोच रहे हैं तो जानिए कि कैसे शिवजी पर जल अर्पित करें कि कावड़ यात्रियों जैसा पुण्य प्राप्त करें। यानी यदि आप किसी कारणवश कांवड़ यात्रा नहीं कर पा रहे हैं, तो भी आप सच्ची श्रद्धा और भक्ति से अपने घर या नजदीकी शिव मंदिर में भगवान शिव को जल अर्पित कर सकते हैं।
'कावड़ के ये घट दोनों ब्रह्मा, विष्णु का रूप धरें।
बाँस की लंबी बल्ली में हैं, रुद्र देव साकार भरे।'
1. छोटी यात्रा: कावड़ यात्रा अक्सर कई किलोमीटर की होती है। कोई 30 से 40 किलोमीटर दूर जाकर जल अर्पित करता है तो कोई 100 300 किलोमीटर की यात्रा तय करके मुख्य शिवमंदिर में जाकर जल अर्पित करता है। आप इतना कर सकते हैं कि किस शिव मंदिर के आसपास स्थिति किसी तालाब या नदी से जलभरक पैदल ही शिव मंदिर तक जाएं और शिवजी का जलाभिषेक करें।
2. जलाभिषेक: यदि छोटी यात्रा भी नहीं कर सकते हैं तो अपने घर का ही शुद्ध जल लेकर शिवमंदिर में जाएं। इस जल में थोड़ा गंगाजल मिला लें। गंगा जल नहीं मिले तो नर्मदा, गोदावरी, कावेरी, कृष्णा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, क्षिप्रा, महानदी, वैतरणी, झेलम, चिनाब, सिंधु या अन्य किसी नदी का जल मिला लें। इस जल का जलाभिषेक करने से शारीरिक एवं मानसिक ताप मिटते हैं। इससे वर्षा भी होती है। गंगा जल से अभिषेक करने से ज्वर ठीक हो जाता है। तीर्थ जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुशा जल से अभिषेक करने पर रोग व दु:ख से छुटकारा मिलता है। ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।