यह सुनकर भानामति घबरा जाती है और कहती है- नहीं नहीं स्वामी! ऐसा मत कीजिये। परंतु यह कहकर वह भाणासुर वहां से चला जाता है। तब भानामति भगवान विष्णु की मूर्ति के समक्ष खड़े होकर कहती है- हे भगवान विष्णु! तुमने मेरी प्रार्थना सुनकर मेरी सुनी गोद तो भर दी है परंतु अब तुम्हीं इस गोद को उजड़ने से बचाना। इस नि:ष्पाप बालक की रक्षा करना, क्योंकि अब केवल तुम्हीं इसे बचा सकते हो, मेरे बालक की रक्षा करना प्रभु।