श्रावण शिव का अत्यंत प्रिय मास है। इस मास में शिव की भक्ति करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। उनके पूजन के लिए अलग-अलग विधान भी है। भक्त जैसे चाहे उनका अपनी कामनाओं के लिए उनका पूजन कर सकता है।
उच्चारण में अत्यंत सरल शिव शब्द अति मधुर है। शिव शब्द की उत्पत्ति वश कान्तौ धातु से हुई हैं। जिसका तात्पर्य है जिसको सब चाहें वह शिव हैं ओर सब चाहते हैं आंनद को अर्थात शिव का अर्थ हुआ आंनद।
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भगवान शिव का ही एक नाम शंकर भी हैं। शं यानी आंनद एवं कर यानी करने वाला अर्थात आंनद को करने वाला या देने वाला ही शंकर हैं। शिव को जानने के बाद कुछ शेष रह नहीं जाता इसी प्रकार मानकर सावन मास में शिव का पूजन पूरी विधि विधान से करना चाहिए।
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श्रावण में कैसे करें पूजन-
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* प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें।
* फिर शुद्ध वस्त्र धारण कर भगवान शिव का पंचोपचार या षोडषोपचार पूजन करें।
* अन्न का ग्रहण ना करें।
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* क्रोध, काम, चाय, कॉफी पर नियंत्रण रखें।
* दिनभर ॐ नम: शिवाय का जाप करें।
* शिव का पूजन सदा उत्तर की तरफ मुंह करके करना चाहिए क्योंकि पूर्व में उनका मुख पश्चिम में पृष्ठ भाग एवं दक्षिण में वाम भाग होता हैं।
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* शिव के पूजन के पहले मस्तक पर चंदन अथवा भस्म का त्रिपुंड लगाना चाहिए।
* पूजन के पहले शिव लिंग पर जो भी चढ़ा हुआ हैं उसे साफ कर देना चाहिए।