शैव संन्यासी संप्रदाय अखाड़े

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लगभग 5 लाख साधु-संन्यासियों की फौज से सुसज्जित शैव संन्यासी संप्रदाय का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। शैव संन्यासी संप्रदाय के बहुत सारे अखाड़े या कहें की मठ और मड़ियां हैं। उनमें से प्रमुख सात की संक्षिप्त जानकारी। यह सभी दसनामी संप्रदाय के अंतर्गत ही आते हैं। वैष्णव और उदासीन संप्रदाय के अलग अखाड़े हैं।


इन अखाड़ों का बहुत प्राचीन इतिहास रहा है। समय-समय पर इनका स्वरूप और उद्येश्य बदलता रहा है। अखाड़ों का आज जो स्वरूप है उस रूप में पहला अखाड़ा ‘अखंड आह्वान अखाड़ा’ सन् 547 ई. में सामने आया। इसका मुख्य कार्यालय काशी में है और शाखाएं सभी कुम्भ तीर्थों पर हैं।

1- श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- इसका मठ धारागंज, प्रयाग इलाहाबाद में स्थित है। इस अखाड़ा के संत है - श्रीमहंत योगेन्द्र गिरी और श्रीमहंत जगदीश पुरीजी। 

2- श्रीपंच अटल अखाड़ा- इसका मठ चक्र हनुमान, खाटूपुरा, काशी, वाराणसी में स्थित है। इस अखाड़ा के संत है- श्रीमहंत उदय गिरी और श्रीमहंत सनातन भारती।

3- श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी- इसका मठ 47/44 मोरी, धारागंज, प्रयाग इलाहाबाद में स्थित है। इस अखाड़े के संत है- श्रीमहंत रामानन्द पुरी और श्रीमहंत नरेन्द्र गिरी।

4- तपोनिधि आनन्द अखाड़ा पंचायती- इसके दो मठ हैं पहला स्वामी सागरनन्द आश्रम, त्रयंबकेश्वर, दूसरा श्रीसूर्य नारायण मन्दिर त्र्यंम्बकेश्वर जिला- नासिक, महाराष्ट्र में स्थित है। इस मठ के संत है- श्रीमहंत शंकरानन्द सरस्वती और श्रीमहंत धनराज गिरी।

5- श्रीपंचदसनाम जूना अखाड़ा- इसका मठ भारा हनुमान घाट, काशी वाराणसी में स्थित है। इस मठ के संत है- श्रीमहंत विद्यानन्द सरस्वती और श्रीमहंत प्रेम गिरी।

6- श्रीपंचदसनाम आह्वान अखाड़ा- इसका मठ डी-17/122 दशाश्वमेघ घाट काशी वाराणसी में स्थित है। इस मठ के संत है- श्रीमहंत कैलाश पुरी और श्रीमंहत सत्या गिरी।

7- श्रीपंचदसनाम पंचागनी अखाड़ा- इसका मठ तलहटी गिरनार, पोस्ट- भावनाथ, जिला- जूनागढ़ गुजरात में स्थित है। इस मठ के संत हैं- श्रीमहंत अच्युतानन्दजी ब्रह्माचारी। दूसरा मठ सिद्ध काली पीठ गंगा पार काली मन्दिर हरिद्वार, उत्तराखंड में स्थित है जिसके संत है- श्रीमहंत कैलाश नन्दजी ब्रह्मचारी।