Second solar lunar eclipse of the year 2024: 25 मार्च को उपच्छाया चंद्र ग्रहण था और इसके बाद 8 अप्रैल 2024 सोमवार खग्रास सूर्य ग्रहण था। इसी साल एक चंद्र और एक सूर्य ग्रहण और होना है। चंद्र ग्रहण से जहां समुद्र में आपदा आती है वहीं सूर्य ग्रहण से धरती पर आपदाएं आती है। जब दोनों ही ग्रहण 15 दिनों के अंतराल पर लगते हैं तब दोनों ही क्षेत्रों में आपदाएं बढ़ जाती है।
1. खंडग्रास चंद्र ग्रहण : 18 सितंबर बुधवार को रहेगा। भारत में नहीं दिखाई देगा। 18 सितंबर की सुबह लगने वाला आंशिक चंद्रग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। यह ग्रहण यूरोप, मध्य एशिया, अफ्रीका, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक समुद्री क्षेत्र, हिंद महासागर, आर्कटिक तथा अन्टार्कटिका में दिखाई देगा।
भारतीय समयानुसार यह चंद्रग्रहण सुबह 6 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा।
2. वलयाकार सूर्य ग्रहण : 2 अक्टूबर बुधवार को रहेगा। भारत में नहीं दिखाई देगा। 2 और 3 अक्टूबर की दरम्यानी रात लगने वाले वलयाकार सूर्यग्रहण के नजारे से भी देश के खगोलप्रेमी वंचित रहेंगे। सूर्यग्रहण की खगोलीय घटना कुल 7 मिनट 21 सेकंड चलेगी और इसकी चरमावस्था पर सूर्य का 93 प्रतिशत फीसद हिस्सा ढक जाएगा जिससे सौरमंडल का मुखिया पृथ्वीवासियों को चमकदार कंगन की तरह दिखाई देगा। यह ग्रहण उत्तर और दक्षिण अमेरिका, पैसफिक क्षेत्र एवं अटलांटिक क्षेत्र, आर्कटिक क्षेत्र, अन्टार्कटिका क्षेत्र में दिखाई देगा।
Lunar eclipse 2024
वलयाकार सूर्य ग्रहण : इसे कंगन या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण भी कहते हैं। सूर्य ग्रहण में जब चंद्रमा पृथ्वी से बहुत दूर होता है और इस दौरान पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। ऐसे में सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्य ग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।