अपने करियर के शुरुआती हिस्से में ईस्ट बंगाल फुटबॉल क्लब के ड्रेसिंग रूम में साथ समय बिता चुके चौबे और भूटिया प्रफुल्ल पटेल के उत्तराधिकारी बनने के लिये एक-दूसरे के आमने-सामने थे।
भारत के 36 राज्य फुटबॉल संघों में से सिर्फ 34 ने ही चुनावों में हिस्सा लिया, जबकि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को मतदान की अनुमति नहीं दी गयी।
अध्यक्ष की दौड़ में कल्याण हमेशा से ही आगे चल रहे थे। भूटिया के नामांकन के बाद चुनावी सरगर्मियां थोड़ी बढ़ीं, लेकिन सिक्किमी स्निपर राज्य संघों से लगातार बातचीत के बावजूद एक से ज्यादा वोट हासिल नहीं कर सके।
एआईएफएफ के नये अध्यक्ष चौबे फिलहाल पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों में कृष्णानगर से पर्चा भरा मगर जीत नहीं सके।
चौबे को 1997-98 और 2001-02 में भारतीय 'गोलकीपर ऑफ द ईयर' के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह अपने करियर में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल दोनों के लिये खेल चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने गोवा के सालगांवकर फुटबॉल क्लब में भी समय बिताया है।(वार्ता)