Gold Medal विजेता अन्नुरानी एशियाई खेलों से पहले खेल को अलविदा कहने वाली थीं

Webdunia
रविवार, 15 अक्टूबर 2023 (17:36 IST)
Asian Games 2022 Annu Rani : हांगझोउ एशियाई खेलों (Asian Games 2022 Hangzhou) में Gold Medal जीतने से पहले अपने लगातार खराब प्रदर्शन से भालाफेंक खिलाड़ी अन्नु रानी (Annu Rani Indian javelin thrower) इतनी परेशान हो गई थी कि उन्होंने खेल को अलविदा कहने का मन बना लिया था ।
 
अन्नु ने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘इस साल मैने बहुत संघर्ष किया है । मैं विदेश में अभ्यास करने गई थी । सरकार से जिद करके विदेशी कोच से सीखने गई थी लेकिन मेरा प्रदर्शन गिर गया । पूरा साल खराब हो चुका था । एक के बाद एक हर प्रतियोगिता में खराब प्रदर्शन हो रहा था ।’’
 
उन्होंने कहा ,‘‘मैने एशियाई खेलों से पहले सोच लिया था कि मैं खेल छोड़ दूंगी । इतनी कोशिश के बावजूद कुछ जीत नहीं पा रही थी । सरकार और साइ (SAI) ने मुझ पर इतना पैसा लगाया है लेकिन मैं प्रदर्शन नहीं कर पा रही थी । बुडापेस्ट में विश्व चैम्पियनशिप (World Championship in Budapest) के बाद मैने खेल को अलविदा कहने के बारे में सोच लिया था ।’’
 
अन्नु अगस्त में बुडापेस्ट में विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 57 . 05 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ 11वें स्थान पर रही और फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी थी । वह सितंबर में ब्रसेल्स में डायमंड लीग (Diamond League) में 57 . 74 मीटर के थ्रो के साथ सातवें स्थान पर रही । पूरे सत्र में वह 60 मीटर का आंकड़ा नहीं छू सकी थी ।
 
हांगझोउ में एशियाई खेलों में हालांकि 69.92 मीटर के थ्रो के साथ उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर खराब फॉर्म को अलविदा कहा। (Annu Rani Gold Medal in Asian Games)
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#AnnuRani becomes first Indian woman ever to win Gold in javelin throw in #AsianGames! as #NeerajChopra, let make her famous.

-Annu Rani Dharayan is an Indian javelin thrower from Meerut, Uttar Pradesh.
-She was born on 28 August 1992.
-She is the first Indian to reach the… pic.twitter.com/h53lclFzdu

— Pavan Sharma (@thepavansharma) October 6, 2023 >
खेल से संन्यास का अपना फैसला बदलने के बारे में उन्होंने कहा ,‘‘ मन में आया कि इतने संघर्ष झेलकर अभावों से निकलकर मैं यहां तक आई हूं तो एशियाई खेलों में एक आखिरी चांस लेकर देखती हूं । मैने खूब मेहनत की और मुझे यह विश्वास था कि अच्छा खेलूंगी और पदक भी जीतूंगी ।’’
 
उन्होंने कहा ,‘‘प्रतिस्पर्धा कठिन थी जिसमें विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता और ओलंपिक पदक विजेता थे । मैं यह सोचकर उतरी थी कि जितना खराब होना था, हो चुका और अब इससे खराब क्या होगा और मुझे सिर्फ गोल्ड चाहिए था, रजत या कांस्य नहीं ।’’
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Annu Rani was so upset with a string of poor performances this year that she had decided to say goodbye to the sport just before the Asian Games!#Sportshttps://t.co/vbRVrwQNht

— News18 Sports (@News18Sports) October 15, 2023 >
अन्नु ने कहा कि बचपन के अभाव और संघर्षो ने उन्हें लड़ने की प्रेरणा दी और वह अपने समान हालात से निकली लड़कियों के लिए प्रेरणा बनना चाहती थी ।
 
मेरठ के बहादुरपुर गांव से निकली 31 वर्ष की अन्नु ने कहा ,‘‘ मेरे परिवार के जो हालात थे और मैने जहां से शुरूआत की थी , वह सब याद करके खुद को प्रेरित किया । यह भी सोचा कि मैं अकेली नहीं हूं संघर्ष करने वाली । हर क्षेत्र में लोगों को संघर्ष करने पड़ते हैं ।’’
 
उन्होंने कहा ,‘‘मैं उस समाज से आई हूं जहां लोअर टीशर्ट पहनने पर भी लोग टोकते थे । परिवार को खेलों की केाई जानकारी नहीं थी । पहली बार लोअर टीशर्ट पहनने पर घर में डांट पड़ी थी । मेरे पास जूते भी नहीं थे और प्रतिस्पर्धा मे जाने के समय दोस्त से उधार लेना पड़ता था । इतने संघर्ष से यहां तक पहुंचने का सफर याद करके ही मैने सोचा कि हार नहीं माननी है ।’’
 
अन्नु ने कहा कि अब खेल से विदा लेने का विचार तजकर वह ओलंपिक पर फोकस कर रही है ।
 
उन्होंने कहा ,‘‘अब लक्ष्य पेरिस ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करना है । मैं अपने जैसे परिवेश से आने वाली खिलाड़ियों से यही कहना चाहती हूं कि हार नहीं मानना है , अपने लिये लड़ना है और लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं । अब हर चीज में सरकार, साइ, महासंघ से सहयोग मिल रहा है । टॉप्स और खेलो इंडिया जैसा सहयोग बना रहे तो अगले ओलंपिक में काफी पदक आयेंगे ।’’
 
एशियाई खेलों में पुरूषों की भालाफेंक स्पर्धा में ओलंपिक और विश्व चैम्पियन नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण और किशोर जेना ने रजत पदक जीता । अन्नु का मानना है कि भारत में भालाफेंक का भविष्य बहुत उज्जवल है और इस प्रदर्शन से युवाओं को इस खेल में उतरने की प्रेरणा मिलेगी ।’’
 
उन्होंने कहा ,‘‘एक बार किसी भी खेल में ओलंपिक पदक आ जाता है तो सोच ही बदल जाती है । हमें लगता है कि समान माहौल, समान डाइट से जब नीरज जीत सकता है तो हम भी जीत सकते हैं । इससे लोगों में भरोसा बनता है । अब तो खिलाड़ी इतना अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं । सात आठ साल पहले खिलाड़ी ओलंपिक में भाग लेने जाते थे लेकिन अब उनकी आकांक्षा इतनी बढ चुकी है कि उन्हें रजत से भी संतोष नहीं है, स्वर्ण ही चाहिये ।’’ (भाषा)