2017 में जो कहा था, वो कर दिखाया, मां से कॉल पर बात कर रोने लगे डी गुकेश [Video]

WD Sports Desk

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024 (12:11 IST)
World Chess Championship Gukesh D : भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने गुरूवार को 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बनने के बाद कहा, ‘मैं बस अपना सपना जी रहा हूं’।
 
गुकेश ने उतार-चढ़ाव से भरे खिताबी मुकाबले की रोमांचक 14वीं और आखिरी बाजी में गत चैंपियन चीन के डिंग लिरेन (Ding Liren) को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
 
अपनी अविश्वसनीय जीत के बाद मितभाषी गुकेश ने कहा, ‘‘मैं पिछले 10 साल से इस पल का सपना देख रहा था। मुझे खुशी है कि मैंने इस सपने को हकीकत में बदला।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं थोड़ा भावुक हो गया था क्योंकि मुझे जीत की उम्मीद नहीं थी। लेकिन फिर मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला। ’’
 
गुकेश ने कहा, ‘‘मैं छह-सात साल की उम्र से ही इस पल का सपना देख रहा था और इसे जी रहा था। हर शतरंज खिलाड़ी इस पल को जीना चाहता है। मैं अपना सपना जी रहा हूं। मैं कैंडिडेट्स से चैंपियनशिप तक के सफर के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। ’’

ALSO READ: भारतवासियों ने की गुकेश के ऐतिहासिक विश्व शतरंज चैंपियनशिप खिताब की सराहना
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक बनने का उनका सपना तब शुरू हुआ जब उन्होंने 2013 में चेन्नई में अपने आदर्श विश्वनाथन आनंद (Vishwanathan Anand) और नॉर्वे के महान शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन (Magnus Carlsen) के बीच विश्व चैंपियनशिप मैच देखा।

उन्होंने कहा, ‘‘2013 में जब मैंने मैग्नस कार्लसन और विश्व चैंपियनशिप मैच में विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद को देखा तो मुझे लगा कि एक दिन ग्लास रूम के अंदर होना बहुत अच्छा होगा। और वास्तव में वहां बैठना और अपने बगल में भारतीय ध्वज को देखना शायद सबसे अच्छा पल होगा। ’’
 
गुकेश ने कहा, ‘‘जब मैग्नस ने जीत हासिल की तो मैंने सोचा कि मैं वास्तव में भारत को खिताब वापस लाने वाला व्यक्ति बनना चाहता हूं। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 2017 में कहा था कि मैं इतिहास का सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनना चाहता हूं। ’’

पांच बार के चैंपियन आनंद के बाद गुकेश खिताब जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय बने।
 
गुकेश ने खुलासा किया कि शुरुआती गेम में लिरेन से हारने के बाद आनंद ने ही उन्हें ढाढस बंधाया था।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां आया और पहला गेम ही हार गया। सौभाग्य से वापस जाते समय मैं लिफ्ट में विशी सर (आनंद) से मिला और उन्होंने कहा ‘मेरे पास केवल 11 मैच बचे थे, आपके पास 13 और बाजियां हैं, आपको मौके मिलेंगे’। ’’
 
आनंद 2006 में वेसलिन टोपालोव पर विश्व चैंपियनशिप में अपनी जीत का जिक्र कर रहे थे जिसे उन्होंने पहला गेम हारने के बाद अंततः जीता था। दिलचस्प बात यह है कि आनंद ने आखिरी क्लासिकल (12वें) गेम में वह मैच जीता था और वह भी काले मोहरों के साथ।
 
गुकेश ने कहा, ‘‘विशी सर कभी भी आधिकारिक तौर पर टीम का हिस्सा नहीं थे, लेकिन हम सभी जानते हैं कि वे मेरा समर्थन कर रहे थे। उन्होंने एक ट्रेनिंग शिविर में भी शिरकत की, लेकिन कुछ सत्रों के लिए दूर से भी मदद की। ’’


 
विश्व खिताब के बावजूद गुकेश ने कहा कि कार्लसन वर्तमान में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं और वे नॉर्वे के विश्व नंबर एक खिलाड़ी के खिलाफ खेलना चाहेंगे।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा लक्ष्य लंबे समय तक शीर्ष स्तर पर खेलना है। मैंने अभी अपना करियर शुरू किया है और मैं एक लंबा करियर बनाना चाहता हूं और शीर्ष पर रहना चाहता हूं। ’’
 
गुकेश ने कहा, ‘‘विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतने का मतलब यह नहीं है कि मैं सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हूं, निश्चित रूप से मैग्नस कार्लसन सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं। मैं मैग्नस द्वारा हासिल किए गए स्तर तक पहुंचना चाहता हूं। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘विश्व चैंपियनशिप में मैग्नस के खिलाफ खेलना निश्चित रूप से अद्भुत होगा, यह शतरंज में सबसे कठिन चुनौती होगी। यह मैग्नस पर निर्भर करता है, लेकिन मैं दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के खिलाफ खुद को परखना पसंद करूंगा। ’’
 
इस भारतीय स्टार ने अपने प्रतिद्वंद्वी लिरेन की भी प्रशंसा की।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए डिंग एक विश्व चैंपियन है। वह एक सच्चे चैंपियन की तरह खेले। मुझे डिंग और उनकी टीम के लिए खेद है। मैं अपने प्रतिद्वंद्वी को धन्यवाद देना चाहता हूं। ’’
 
अपने माता-पिता के योगदान के बारे में गुकेश ने कहा, ‘‘उनके लिए विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतने का सपना मेरे सपने से बड़ा है। ’’
 
यह पूछे जाने पर कि ऐतिहासिक जीत के बाद चेन्नई में फोन कॉल के दौरान उनके और उनकी मां के बीच क्या हुआ तो गुकेश ने कहा, ‘‘हम दोनों रो रहे थे। ’’

लिरेन ने कहा, ‘‘मुझे यह महसूस करने में समय लगा कि मैंने बड़ी गलती की है। मुझे लगता है कि मैंने साल का अपना सर्वश्रेष्ठ टूर्नामेंट खेला। ’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं बेहतर कर सकता था लेकिन अंत में हार के बाद यह एक उचित परिणाम है। मुझे कोई पछतावा नहीं है। ’’
 
गुकेश ने मशहूर मानसिक अनुकूलन कोच पैडी अपटन (Paddy Upton) की भी प्रशंसा की जिन्हें विश्व चैंपियनशिप की तैयारी में उनकी मदद करने के लिए शामिल किया गया था।
 
उन्होंने कहा, ‘‘12वें मैच के बाद मैं ठीक से सो नहीं पा रहा था। मैंने पैडी से बात की और मैंने कुछ बदलाव किए। उसके बाद, मैंने पिछले दो दिनों में कम से कम आठ घंटे अच्छी नींद ली। इसलिए मैं मुकाबलों में तरोताजा था। नींद बहुत महत्वपूर्ण है और मैंने बदलावों का सुझाव देने के लिए पैडी को धन्यवाद दिया। ’’ (भाषा)
 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी