पूनिया ने कहा, मैं यह स्वर्ण पदक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित करता हूं जिनका हाल ही में निधन हुआ है। उन्होंने इस पदक का श्रेय अपने मेंटर योगेश्वर दत्त को भी दिया जिन्होंने 2014 में यह कारनामा किया था।
उन्होंने कहा, योगी भाई ने मुझसे कहा कि मैंने 2014 में यह किया था और अब तुम्हें करना है। जब उन्होंने जीता था तब उससे पहले के पदक में और उनके पदक में काफी साल का अंतर था। मैं जीत की परंपरा कायम रखना चाहता था।
उन्होंने जीत के बाद कहा, यह मेरे लिए सबसे बड़ा पदक है। यहां जीतने पर आप टोक्यो ओलंपिक के दावेदार बन जाते हैं। मेरी नजरें ओलंपिक पर हैं और मैं उसी की तैयारी कर रहा हूं। मैं विश्व चैम्पियनशिप में भी इस प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश करूंगा।
उन्होंने कहा, एशियाड में भारत ने कुश्ती में ज्यादा स्वर्ण नहीं जीते हैं। यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है। योगेश्वर और राजिंदर सिंह के बाद एक साल में दो स्वर्ण (राष्ट्रमंडल और एशियाड) जीतने वाला मैं तीसरा पहलवान हूं और मुझे इस पर गर्व है। (भाषा)