रॉक्सन कॉमनवेल्थ के रास्ते भारत लौटी

ललित कटारिया

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17 वर्षीय पैरालंपिक तैराक कैटरिना रॉक्सन कनाडा के छोटे से शहर किपंस (न्यूफाउंडलैंड) से कॉमनवेल्थ खेलों के माध्यम से अपने माता-पिता के देश भारत लौटी है। इस हिम्मती बालिका ने बचपन से कई बड़े सपने देखे थे। उसने निशक्तजनों की कई विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया और रिकॉर्ड तोड़े थे। पहली बार रॉक्सन ने बीजिंग पेरालंपिक मे भाग लिया था।

उसने पाँच साल पहले के कई नेशनल व विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर विश्व स्तर पर पहचान बनाई। अब ऑफ सीजन में रॉक्सन ट्रेक एंड फील्ड में अपना अपना जलवा दिखाने की तैयारी कर रह रही है।

इस साल उसने नेशनल में 100, 200 मी. और 400 मी. के इवेंट में अपना दावा किया है। टी 46 केटेगरी में नया नेशनल रिकॉर्ड कायम कर आईपीसी विश्व ट्रेक एंड फील्ड चैंपियनशिप के लिए पात्रता हासिल की है। इतना सब हासिल करने के बाद भी रोक्सन की निगाह में कॉमनवेल्थ खेलों का अपना अलग महत्व है।

यह पहला मौका होगा जब रोक्सन किसी टीम इवेंट में भाग लेगी। उनकी टीम में ओलिंपिक में काँस्य पदक विजेता रियान कोचरने, विश्व रिकॉर्डधारी अनामेय, पियर्स, पूर्व विश्व चैंपियन ब्रेंट हेडन शामिल है।

कनाडा ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसने अपनी कॉमनवेल्थ गेम्स की टीम में निशक्तजन खिलाड़ी को शामिल किया है। रोक्सन 50 मी. 100 मी. फ्री स्टाइल व 100 मी.बटरफ्लाई इवेंट में भाग लेगी। भारी संख्या में कनाडा के प्रशंसकों के साथ ही भारत के दर्शक भी रॉक्सन का उत्साहवर्धन करने के लिए तैयार है।

भारतीय माता-पिता : रॉक्सन का जन्म कनाडा में हुआ। उसके पिता लियोनार्ड तथा माता लिसा मूलतः भारतीय है। काम के सिलसिले में वे 1990 में कनाडा गए थे। इस दंपति की दो संतान रॉक्सन और मिरांडा है।

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