पूर्व हॉकी ओलिंपियन अजितपाल सिंह ने आज कहा कि इस राष्ट्रीय खेल के स्वर्णिम इतिहास के बारे में मौजूदा और आने वाली पीढ़ियों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे इसका खोया गौरव हासिल करने के लिए प्रयास करें।
अजितपाल ने वरिष्ठ खेल पत्रकार सत्येन्द्र पाल सिंह की पुस्तक 'भारतीय हॉकी एवं राष्ट्रमंडल खेल' का विमोचन करने के बाद कहा कि हमारी मौजूदा और आने वाली पीढ़ियों को हॉकी के स्वर्णिम काल की जानकारी देनी जरूरी है तभी तो वे इसका खोया गौरव लौटाने के लिए आगे आएँगे।
उन्होंने कहा कि हॉकी के लिए जिस जुनून की जरूरत होती है वह आज नदारद है। हमारे जमाने में हम प्रतिदिन चार से पाँच घंटे हॉकी खेला करते थे। हॉकी को उसका खोया अतीत वापस दिलाने के लिए खिलाडियों को मैदान पर जमकर पसीना बहाना होगा। वर्ष 1975 की विश्वकप विजेता टीम के कप्तान ने कहा कि दिल्ली में अगले महीने होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में देशवासियों को पुरुष और महिला हॉकी दोनों टीमों से पदक की उम्मीद है और मुझे पूरी उम्मीद है कि वे हमारी उम्मीदों खरा उतरेंगे।
इस अवसर पर एक अन्य पूर्व ओलिंपियन जफर इकबाल ने कहा 'हॉकी को पटरी पर लाने के लिए सभी को सहयोग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को इस खेल के गौरवशाली अतीत के बारे में कोई जानकारी नहीं है इसलिए जरूरत इस बात की है कि उन्हें इस बारे में बताया जाए।
पूर्व ओलिंपियन हरबिंदर सिंह ने कहा 'मौजूदा समय में हॉकी अपनी चमक खो चुकी है लेकिन हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। जैसे ऑस्ट्रेलिया ने क्रिकेट और ब्राजील ने फुटबॉल में कई उतार-चढ़ाव झेलने के बाद अपनी बादशाहत कायम की है वैसे ही हॉकी भी भारत में अपना खोया रुतबा हासिल करेगी।
पूर्व राष्ट्रीय कोच एम के कौशिक ने कहा कि देश की मौजूदा पीढ़ी को हॉकी के स्वर्णिम इतिहास के साथ-साथ इस खेल की आधुनिक शैली के बारे में भी बताने की जरूरत है। स्कूलों में हॉकी के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए ताकि आने वाले समय में अच्छे खिलाड़ी तैयार किए जा सकें। (वार्ता)