इसे तालिबान की ऑनलाइन माध्यम से लोगों तक पहुंच को रोकने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। अभी स्पष्ट नहीं है कि पश्तो, उर्दू, अरबी, अंग्रेजी और डारी भाषाओं की साइटें शुक्रवार को ऑफलाइन क्यों हो गईं?
वेबसाइटों का गायब होना अस्थायी हो सकता है, क्योंकि तालिबान नई होस्टिंग व्यवस्था सुरक्षित कर रहा है। लेकिन अमेरिका समर्थित अफगान सरकार के तालिबान के हाथों गिर जाने के बाद मंगलवार को फेसबुक द्वारा तालिबान खातों पर प्रतिबंध लगाने के बाद व्हाट्सएप समूहों को हटाने की सूचना मिली।(भाषा)