1. इंटेलिजेंट : एक टीचर सभी बच्चों को समान समझकर ही उन्हें शिक्षा देता है परंतु क्लास में कई बच्चे होते हैं जिसमें से कुछ इंटेलिजेंट होते हैं और कुछ पिछड़ जाते हैं। दअसल, जो बच्चे क्लास में जब जो पढ़ाया जा रहा है उसे ध्यान से सुनते और समझते हैं वे इंटेलिजेंट बन जाते हैं और जिनका ध्यान कहीं ओर रहता है वे पिछड़ते जाते हैं। जब कोई बच्चा क्लास में पिछड़ जाता है तो शिक्षक को बहुत बुरा लगता है क्योंकि इसके लिए उसको ही दोषी माना जाता है, जबकि वह उस बच्चे को बार-बार इस बात के लिए टोकते रहता है कि तुम्हारा ध्यान पढ़ाई में नहीं है।
2. प्रैक्टिस : कोई भी व्यक्ति सफल तब होता है या परीक्षा में अच्छे नंबर तब लाता है जबकि उसने जो पढ़ा या समझा है वह उसका अभ्यास करता रहता है। अर्थात जिसे वह दोहराता रहता है। इसे ही प्रैक्टिस करना या रिवीजन करना कहते हैं। यह बहुत जरूरी होता है। यदि आप यह समझते हो कि एक बार पढ़ लिया तो हो गया बस, ऐसा नहीं है। हमें एक ही बात को बार-बार पढ़ना होता है। गणित के एक ही सवाल को बार-बार हल करना होता है। खासकर गणित में पारंगत अभ्यास करके ही बन सकते हैं। गणित पढ़ने से नहीं अभ्यास से आता है।
3. होमवर्क : होमर्वक तीन तरह का होता है, पहला यह कि जो पढ़ाया या कराया उसके आगे का आपको समझकर घर पर करना है। जैसे शिक्षक ने कोई एक तरह का सवाल बताया अब आपको उसी तरह के अन्य सवालों को घर पर हल करना है। यह भी एक तरह की प्रैक्टिस ही है। दूसरा जो कार्य आपसे स्कूल में छूट गया है उसे घर पर करना। तीसरा छुट्टियों में आपको थोड़ा बहुत होमवर्क दिया जाता है। इससे आपकी प्रैक्टिस भी होगी और पढ़ाई में कान्टिनूइटी बनी रहेगी।
4. डिसप्लिन : यदि आप डिसप्लिन से नहीं रहते हैं तो आगे जीवन में आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अत: एक शिक्षक चाहता है कि आप समय पर स्कूल आएं और अपना हर कार्य समय पर करें। क्लासरूम में डिसप्लिन बनाकर रखें। क्लास में आपस में बातें करने से या ज्यादा शोर करने से जो बच्चे पढ़ने के लिए सदा उत्सुक रहते हैं उनका भी ध्यानभंग होता है और टीचर्स का भी।
5. ओबीडीअन्ट : आपको ओबीडीअन्ट अर्थात आज्ञाकारी बनना चाहिए। यदि आप अपने माता-पिता और शिक्षकों के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो इससे उनका नहीं आपका ही नुकसान होने वाला है, क्योंकि शिक्षक जो बताते हैं वह अपने अनुभाव से बता रहे हैं। यदि आपको किसी कार्य को करने के लिए मना किया गया है तो उसे न करें। शिक्षक अपने विचार आप पर थोपना नहीं चाहते हैं परंतु वह यह चाहते हैं कि आप एक अच्छे विद्यार्थी बनें।
- अनिरुद्ध जोशी