वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे मैं तुझको भूल के जिंदा रहूं खुदा न करे।
जब भी चाहें इक नई सूरत बना लेते हैं लोग एक चेहरे पर कई चेहरे सजा लेते हैं लोग।
- कतील शिफाई
कतील शिफाई ने रूमानी शायरी में बहुत काम किया है। सरलता से दिलों में पैठना उनकी शायरी की सुंदरता है। वे कठिन भाषा कतई इस्तेमाल नहीं करते। दूसरा शेर फिल्म दाग' के एक गीत में तोड़-मरोड़कर इस्तेमाल किया गया था (जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग, एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग)। फिल्मवालों ने ऐसा जुल्म बहुत से शायरों पर किया है कि उनकी चीजें या तो जस की तस इस्तेमाल कर लीं, या उनमें मामूली हेरफेर करके काम में ले लीं, परंतु कहीं उनका नाम तक देने की तकलीफ नहीं की।