Ujjain Bhasma Arti Offline Ticket Booking: महाकाल की 6 बार आरती होती हैं, जिसमें सबसे खास मानी जाती है भस्म आरती। पूरी दुनिया में यहीं पर शिवजी की भस्मारती होती है। ब्रह्म मुहूर्त में होने वाली भस्मारती में भगवान शिव को घटा टोप स्वरूप दिया जाता है। उस वक्त भगवान शिव दिगंबर स्वरूप में होते हैं। एक सूती कपड़े में भस्म को बांधकर उसे शिवलिंग पर बिखेरते हुए आरती की जाती है। पुरुष धोति पहनकर और महिलाएं साड़ी पहनकर इस आरती को केवल देख सकते हैं लेकिन करने का अधिकार केवल यहां के पुजारियों को होता है। भस्मारती में आम और खास जनों के शामिल होने को लेकर कई बार विवाद हुआ है।
कुछ सालों पहले तक भगवान महाकाल के गर्भगृह में जाकर दर्शन होते थे और भस्म आरती में शामिल होना आसान था। परंतु भक्तों की संख्या बढ़ने के साथ ही दर्शन करने के नियमों में परिवर्तन किया गया। गर्भगृह में जाकर दर्शन के नियम को बंद करके अब नंदी हाल से ही दर्शन किए जाते हैं। यानी भगवान महाकाल के अब दूर से ही दर्शन होते हैं। इसी तरह भस्म आरती के नियम में भी बदलाव किया गया है।
वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है, वह 3 खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्यखंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थित है। नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन ही करने दिए जाते हैं। महाकालेश्वर मंदिर परिसर में और भी ऐसे मंदिर तथा देव प्रतिमाएं हैं, जो श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र हैं। यदि आप महाकालेश्वर के दर्शन करने जा रहे हैं तो जूना महाकाल के दर्शन जरूर करें। महाकाल के दर्शन करने के बाद जूना महाकाल के दर्शन जरूर करना चाहिए।