संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायताकर्मियों का कहना है कि दक्षिणी ग़ाज़ा में स्थित रफ़ाह शहर के अधिकांश इलाक़े अब वीरान हो चुके हैं। पिछले सप्ताह इसराइली सेना द्वारा जगह ख़ाली करने के आदेश दिए जाने के बाद से अब तक क़रीब साढ़े चार लाख फ़लस्तीनी जबरन विस्थापन के लिए और अन्य इलाक़ों में शरण लेने के लिए मजबूर हुए हैं।
This morning in western #Rafah: families have moved as far west as possible, now reaching the shore & along the beach. Today awoken by navy shelling.
Inland in Rafah is now a ghost town. Its hard to believe there were over 1 million people sheltering here just a week ago. pic.twitter.com/2vcJRutzOS
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के अनुसार रफ़ाह में सड़कें वीरान हैं, और परिवार सुरक्षा की तलाश में शहर छोड़ रहे हैं। अब तक साढ़े चार लाख लोग यहां से जा चुके हैं, जबकि एक सप्ताह पहले तक यहां 10 लाख लोग रह रहे थे।
यूएन एजेंसी ने क्षोभ व्यक्त किया कि यहां लोग बुरी तरह थके हुए हैं, भूख और भय से पीड़ित हैं और उनके लिए कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है। तत्काल युद्धविराम ही एकमात्र आशा है।
इस बीच, उत्तरी और दक्षिणी ग़ाज़ा में इसराइली हवाई कार्रवाई जारी है और पिछले 24 घंटों में 120 से अधिक स्थानों को निशाना बनाया गया है।
यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने अपने नवीनतम अपडेट में कहा कि पूर्वी रफ़ाह में इसराइली सेना के ज़मीनी हमले और भीषण लड़ाई जारी है, और ग़ाज़ा सिटी व जबालिया शरणार्थी शिविर से भी ऐसी रिपोर्टें मिली हैं। यूएन एजेंसी के अनुसार, पूर्वी रफ़ाह छोड़कर जाने वाले अनेक फ़लस्तीनी पिछले कई महीनों में विस्थापित हो चुके हैं।
वहीं, उत्तरी ग़ाज़ा में भी शनिवार को जगह ख़ाली करने के आदेश दिए गए थे, जहां इसराइली बमबारी हो रही है। अब तक एक लाख लोग अपने घर व शरणस्थल छोड़ कर जा चुके हैं।
यूएन मानवीय सहायता कार्यालय ने आम फ़लस्तीनियों और मानवीय राहतकर्मियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था के अभाव पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है और उन्हें आवाजाही के लिए जल्द सुरक्षित मार्ग मुहैया कराने की बात कही है।
सहायता आपूर्ति में अवरोध: यूएन एजेंसी ने कहा कि इसराइली सेना द्वारा रफ़ाह सीमा चौकी पर क़ब्ज़ा किए जाने के बाद से ग़ाज़ा में जीवनरक्षक सहायता पहुंचाना एक बड़ी चिन्ता का विषय है। हमास लड़ाकों द्वारा एक घातक रॉकेट हमले के बाद, रफ़ाह के नज़दीक स्थित केरेम शलॉम सीमा चौकी पर भी सख़्ती लागू कर दी गई थी।
यूएन मानवीय सहायता एजेंसी के अनुसार, रफ़ाह सीमा चौकी बन्द है और केरेम शलॉम चौकी के रास्ते से सुरक्षित और व्यावहारिक मार्ग की कमी है।
वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगाह किया है कि रफ़ाह में इसराइली अभियान से स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों, स्वास्थ्य सेवाओं, और जीवनरक्षक आपूर्ति पर जोखिम है।
संगठन ने ध्यान दिलाया है कि ग़ाज़ा में ज़रूरतमन्दों को चिकित्सा राहत प्रदान करने में जुटे साझेदारों को हर दिन कम से कम 46 हज़ार लीटर ईंधन की आवश्यकता है।
मृतक आंकड़ा: इस बीच यूएन एजेंसियों ने उन त्रुटिपूर्ण दावों का विरोध किया है, जिनके अनुसार ग़ाज़ा में हताहतों की संख्या को हाल ही में कम कर दिया गया है। ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि 35 हज़ार मृतकों में से 25 हज़ार की शिनाख़्त का काम पूरा कर लिया गया है।
यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रोसेल ने जिनीवा में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाले के जवाब में कहा कि हम उन 35 हज़ार लोगों के बारे में बात कर रहे हैं जो मृत हैं। और असल में यही बात मायने रखती है। यूएन कार्यालय प्रवक्ता ने कहा कि हम जानते हैं कि इन मृतकों में बड़ी संख्या में महिलाएं व बच्चे हैं और हज़ारों अब भी मलबे में दबे हुए हैं।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मृतकों की पुष्टि करने में समय लगता है और ग़ाज़ा में ये संख्या बहुत अधिक है। फ़िलहाल 18 हज़ार व्यक्तियों की शिनाख़्त किया जाना या उन्हें ढूंढा जाना बाक़ी है। इनमें 10 हज़ार लोगों के शव बरामद हो गए हैं, मगर आठ हज़ार लापता हैं।
ग़ाज़ा में 24,686 मृतकों की शिनाख़्त की गई है, जिनमें 40 प्रतिशत पुरुष (10,006), 20 प्रतिशत महिलाएं (4,959) और 32 प्रतिशत बच्चे (7,797) हैं।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार जिन 10 हज़ार पीड़ितों की अभी शिनाख़्त नहीं हो पाई है, उनमें और अधिक संख्या में महिलाओं व बच्चों के होने की आशंका है।