गाजा में नहीं पहुंच पा रही मदद, कई बच्‍चे भुखमरी की चपेट में

UN

शनिवार, 1 जून 2024 (15:53 IST)
इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में युद्ध से त्रस्त लोगों तक बहुत कम मानवीय सहायता सामग्री पहुंच पा रही है, इस हद तक कम कि बहुत से बच्चों को अब भूखे पेट रहना पड़ रहा है।

यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों ने शुक्रवार को इसराइल से, युद्धग्रस्त ग़ाज़ा पट्टी में जीवनरक्षक मानवीय सहायता सामग्री को सुरक्षित रास्ता देने के सम्बन्ध में अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मान करने की नई अपील जारी की है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने खाद्य असुरक्षा के बारे में एक सर्वेक्षण के सन्दर्भ में नवीनतम जानकारी में कहा है कि पांच में से चार बच्चों यानि लगभग 80 प्रतिशत बच्चों ने औसतन तीन दिनों के दौरान कम से कम एक बार पूरे दिन भर कुछ भी भोजन नहीं खाया।

खाद्य अभाव की झलक : WHO की प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने शुक्रवार को जिनीवा में कहा है, कि पांच वर्ष से कम उम्र के ऐसे बच्चे हैं जिन्हें पूरे दिन भर में कुछ भी खाने को नहीं मिल रहा है। इसलिए अगर आप ये पूछें कि क्या मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति हो रही है? तो जवाब है नहीं, बच्चे भूखे पेट रहने को विवश हैं

ग़ाज़ा में खाद्य असुरक्षा के बारे में उपलब्ध अन्य आंकड़ों में संकेत दिया गया है कि लगभग सभी बच्चे दिन भर में केवल दो खाद्य समूहों की ख़ुराकें खाते हैं, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफ़ारिश हर दिन कम से कम पांच खाद्य समूहों की ख़ुराकें खाने की हैं।

7 हज़ार 280 बच्चे गम्भीर कुपोषित : संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वय कार्यालय – OCHA की नवीनतम जानकारी में कहा है कि ग़ाज़ा में मध्य जनवरी के बाद से पांच वर्ष से कम आयु के 93 हज़ार 400 से अधिक बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गई। उनमें से 7 हज़ार 280 बच्चे अत्यन्त गम्भीर कुपोषण के शिकार पाए गए।

रोके जाने योग्य भीषण हालात : OCHA ने ग़ाज़ा में जानलेवा कुपोषण और वहां के सर्वाधिक निर्बल परिस्थितियों वाले लोगों में अकाल के जोखिम को भी रेखांकित किया है।

एजेंसी के प्रवक्ता येन्स लाएर्के ने कहा है, हम ये कहेंगे कि उन्हें अकाल से बचने के लिए भोजन की जितनी मात्रा की सख़्त ज़रूरत है, निश्चित रूप से उतनी मात्रा नहीं मिल रही है... इस समय उपलब्ध भोजन सामग्री की मात्रा बहुत ही कम है।

प्रवक्ता ने मानवीय सहायता की आपूर्ति में बाधाओं के बारे में पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के अन्तर्गत ये सुनिश्चित करना इसराइल की ज़िम्मेदारी है कि सहायता सामग्री सीमा पर ही ना अटकी रह जाए।

उन्होंने कहा कि ये ज़िम्मेदारी केवल यहीं तक नहीं ख़त्म हो जाती कि सहायता सामग्री को सीमा के कुछ मीटर की हद में पहुंचने दिया जाए और उसके बाद युद्धरत क्षेत्र में पहुंचाने के लिए मानवीय सहायता एजेंसियों पर छोड़ दिया जाए, जो वो नहीं कर सकते... तो आपके सवाल का जवाब है– नहीं, जो मानवीय सहायता सामग्री सीमा के भीतर पहुंच रही है, वो दरअसल लोगों तक नहीं पहुंच रही है।

OCHA के प्रवक्ता येन्स लाएर्के ने शुक्रवार को भी पूरे ग़ाज़ा में इसराइल की भीषण जानलेवा बमबारी जारी रहने की ख़बरों के दौरान कहा कि मानवीय सहायता एजेंसियों का कहना है कि सहायता क़ाफ़िलों के लिए ज़मीनी सीमा चौकियों का रास्ता ही, बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित करने का एक मात्र तरीक़ा है।

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